आइए नफरत को कामयाब करें!!!!
आपको मेरी बात हमेशा की तरह अजीब लगेगी ,आपको लगेगा मैं बुजदिली की बात करता हूं मगर ज़रा सोचिए आज जो अचानक मोब लिंचिग को लेकर मुसलमान लड़ने की बात कर रहे हैं वह क्या ?लगातार सोशल मीडिया पर एक आग फैल रही है कि सिख भाई को पुलिस ने पीटा तो पूरा सिख समाज सड़क पर उतर गया और उन्हें न्याय मिल गया लिहाज़ा हम भी उतरेंगे।
अब ज़रा गौर कीजिए हालात पर कि मुल्क में सिख भाइयों को उकसाने का प्रयास नहीं हो रहा है,माहौल आपके खिलाफ बनाया जा रहा है तो फिर आप समझने को क्यों तैयार नहीं हैं,अचानक से यह प्रदर्शन करने वाली फौज कहां से निकल आई आखिर बताएगा कोई आपने इस बात को सोचा ? नहीं सोचा क्योंकि आपने सोचने का शायद काम ही दूसरों को दे रखा है ,तभी तो आप पूरी पूरी रात मुशायरे में बैठ कर एक व्यक्ति की बुराई गाने के लिए किसी शायर को लाखो रुपए देते हैं ।
ज़रा सोचिए आप कहते हैं कि आपको लड़ना है कभी अपने आप से लड़ पाए आप ?जनाब हज़रत अली करम अल्लाहु वजहुल करीम फरमाते हैं जिसे खतम करना हो उसका नाम लेना बंद कर दो ,हमने क्या किया रात दिन एक ही रट, चाय के होटल हों,सोशल मीडिया हो या कहीं भी आप जहां इकट्ठा हुए एक बात आखिर क्यों ?
क्या आपके पास अपनी कोई बात नहीं ? आपको अपनी भलाई के लिए कुछ नहीं करना ? आपके पास इसके सिवा कोई काम नहीं है ? जिस सिख भाई की लड़ाई लड़ने उसकी कौम अाई वह खुद सिर्फ अपने काम से काम रखता है और उसकी कौम सुबह गुरुद्वारे में माथा टेक कर सिर्फ अपने काम की बात करती है।उसकी कौम अपने गरीब भाइयों के लिए सोचती है और उनके आगे बढ़ने में मदद करती है ,अब अपने गिरेबान में झांकिये आज भी फज्र में सोये रहे होंगे ,खैर यह आपका जाती मामला है लेकिन गौर कीजिए आप कहां खड़े हैं ?
प्रोटेस्ट करने से पहले अगर ऐलान यह होता कि मस्जिद में सभी का आना ज़रूरी है और पूरे मुल्क की मस्जिदों में सबको जमा होना है सिर्फ एक वक़्त नहीं बल्कि पूरा महीना और सब मिलकर एक वक़्त में दुआ करेंगे, दुआ के बाद मिलकर एक दूसरे का सुख दुख सुनेगे और एक दूसरे की मदद करेंगे तो यकीन मानिए आधी समस्या यूंही खतम हो जाती लेकिन नहीं हमे सड़कों पर उतरना है बिना किसी तैयारी के।
हमें खबर भी नहीं कि हमसे यही क़दम तो उठवाने की साजिश है लेकिन हम तो उन्मादी भीड़ बनने को तैयार हैं पूरे देश में प्रदर्शन की अपील करने वालों ने और भी कुछ तैयारी की है? प्रशासन को इसकी खबर दी गई है ,शांतिपूर्ण प्रदर्शन में अगर कोई असामाजिक तत्व घुस कर कोई अप्रिय घटना को अंजाम दे देता है तो क्या आप तैयार हैं ?
कौम को जज्बात में धकेलकर सड़क पर उतारने वाले क्या बताएंगे कि प्रदर्शन से पहले उन्होंने क्या कानूनी पहल की है ?
आखिर आपको सड़कों पर उतरने का शौक था तो आज दिल्ली में उतरना था जहां अमेरिकी मेहमान आ रहा है तो सरकार पर दबाव बनता आपको राष्ट्रीय एवम् अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से गुहार लगानी थी आपने नहीं लगाई ,आप सड़क पर उतरना चाहते हैं बस वह भी तब जब आपको घर से निकालने की ही साजिश रची जा रही है।
ज़रा सोचिए सहाबा की जमात को भी बिना प्रशिक्षण के मैदान में नहीं उतार दिया गया ,हिजरत हुई, फिर सुलह हुदाईबिया, सबको मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार किया गया, रणनीति बनाई गई तब कहा गया कि हमें मैदान में आना है लेकिन नहीं हम तो जज्बाती लोग हैं सड़क पर उतरेंगे ,मुझ जैसे बुजदिल की बात आप क्यों सुनेगे? आपको तो जोशीले भाषण पसंद है , मजलूमियत वाली शायरी और नारे हमे इससे क्या कि हमने ज़कात को सही जगह नहीं दिया,हमारे लोग जेलों में हैं उनकी ज़मानत के लिए कुछ नहीं किया , यतीमों को पढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया अपने सगे भाई तक की मदद नहीं की,अपने पड़ोसी को खुश नहीं रखा ,घर और बाहर गंदगी का अंबार है सफाई नहीं की लेकिन सड़क पर उतर गए।
ज़रा सोचिए क्या हम सही कर रहे हैं ? रुकिए आप साजिश का शिकार हो रहे हैं ,आप बेशक मुझे गाली दीजिए मगर सोचिएगा ज़रूर कहीं मै सही तो नहीं कह रहा।।।।।