इस बेतुकी बात पर भड़कने की जरूरत नहीं है देश में आर्थिक मंदी चल रही है साथ ही वैचारिक दिवालियापन भी चरम पर है अगर ऐसे में आपको कहीं से ऐसा बयान सुनने को मिल जाय तो कतई आश्चर्य मत करिएगा क्योंकि यह नया भारत है, मैं खुद को रोक भी लूंगा मगर कोई तो कह देगा भोगियों का भारत।
प्रियंका मुझे माफ कर देना और अगर किसी निर्भया से उस लोक में मुलाक़ात हो तो उसे बताना यह देश आज भी वैसा ही है जैसा पहले था ,तुम्हारा शरीर तो बलात्कारियों ने नोचा लेकिन आत्मा का बलात्कार मोमबत्ती गैंग ने खूब किया , यह तो अच्छा हुआ कि तुम संसार छोड़ आई वरना कोई बलात्कारी सत्ताधारी दल का विधायक तुम्हे ख़ामोश करने के लिए तुम्हारे पूरे परिवार को खतम कर देता, मैं माफी इसलिए मांग रहा हूं कि मैं भी सिर्फ तमाशाई भीड़ का हिस्सा ही भर हूं उससे ज़्यादा क्या?
सुनो प्रियंका यह अब गांधी का देश नहीं है वह यहां से अपनी विचारधारा के साथ पलायन कर चुके हैं ,अब यह देश बदल रहा है तो बदलाव में यह सब तो होगा ही फिर इसे अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया जाएगा ,मुमकिन है देह को नोचने वाले को पुरस्कृत किया जाए ,क्योंकि गांधी के हत्यारे का जब गुणगान हो सकता है वह भी देश की संसद में तो बलात्कारियों को प्रोत्साहन राशि दिए जाने का प्रस्ताव भी लाया जा सकता है।
प्रियंका हम अब नफरतों का कारोबार करेंगे तुम्हारी लुटी हुई देह पर जिसे दरिंदो ने जला दिया ,पहले तुम वहशियों की वासना का शिकार हुई अब नफरत के कारोबारी तुम्हें नोचेंगे क्योंकि तुम जब एक देह थीं तो हिन्दू थी और दरिंदों में एक खुद को मुसलमान कहने वाला जानवर शामिल था ,घटना हैदराबाद के शमशाबाद में हुई है ,जहां अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अधिक रहते हैं,लिहाज़ा नफरत का पूरा सामान मौजूद है अब तुम आत्मा के बलात्कार के लिए तैयार रहो।
आखिर हिन्दू मुसलमान से सत्ता मिलती है ,मंदिर मस्जिद के रखवाले ख़ामोश रहेंगे हरगिज़ मत सोचना यह तुम्हारे लिए खड़े होंगे ,इनका दिमाग़ पुनर्विचार याचिका में लगा है, इन्हें तुम्हारे ज़ख्मों से सरोकार नहीं है,प्रियंका तुम्हे पता है मस्जिद मंदिर के लिए लड़ने लड़ाने वाले लोगों को सुरक्षा मिली हुई है,इनके बच्चे यहां नहीं पढ़ते अगर पढ़ते भी हैं तो सुरक्षा में रहते हैं ,इसलिए इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता तुम्हारी नुची हुई जली देह देखकर,इनहे बस धन ,यश वैभव से मतलब है ,यह राम और रहीम के घर की लड़ाई लड़ते हैं मैं भी मूर्खों वाली बात कर गया यह राम और रहीम के नाम की नूरा कुश्ती करते हैं तुम्हारे लिए इनके पास एक अल्फ़ाज़ भी नहीं है। हां यह भी सुन लो कोई कथित बाबा,संत या मौलवी कहलाने वाला अपील भी नहीं करेगा क्योंकि इसके पैसे नहीं मिलते।
दरिंदों में धर्म तलाशने वाले कितने धार्मिक है मैं नहीं जानता मगर इतना ज़रूर जानता हूं कोई बलात्कारी हिन्दू नहीं होता,कोई बलात्कारी इसाई नहीं होता,बलात्कारी यहूदी और सिख भी नहीं होता और मैं बड़े विश्वास के साथ कह रहा हूं कि बलात्कारी मुसलमान तो हो ही नहीं सकता , हां यह जरूर है कि उसका नाम ऐसा हो जिससे लगे कि यह इस धर्म का अनुयाई है लेकिन जो इंसान नहीं है वह धर्म क्या जाने? लेकिन धर्म के धंधे वाले इसे इस्तेमाल खूब करते हैं।
प्रियंका तुम जानवरों की डॉक्टर थी क्यों इन आदमियों को जानवर जैसा समझ बैठी मैंने इंसानों की बात नहीं की है आदमी की बात की है क्योंकि कोई इंसान भी बलात्कारी नहीं होता बल्कि बलात्कारी होता है आदमी अब इस फर्क को आप समझिए खैर रोज़ा भी तुम्हारी तरह ही थी इन वहशियों से अनजान हालांकि वह तो कानून पढ़ रही थी वहीं कानून जिसमें बलात्कार की सजा लिखी है मगर भेड़ियों ने उसे नोच डाला अब यह बात और है कि उसमें कोई हिन्दू मुसलमान जैसी बात नहीं मिल रही है और रोज़ा आदिवासी है तो मामला सियासी दुकानों पर उतना चर्चित नहीं लगेगा मगर बलात्कार बलात्कार होता है ।
प्रियंका तुम देखना कैसे जुलूस निकलेंगे फिर तुम्हारी तरह ही कोई दूसरी बेटी शिकार होगी और फिर वही सब होगा जो निर्भया के बाद हुआ क्योंकि सत्ता के सौदागर कुर्सी की लड़ाई लड़ते हैं तुम्हारे हक की नहीं मगर अफसोस हम इन्हें खुद की लड़ाई लड़ने वाला समझते हैं और आपस में उलझते हैं।
बलात्कार तो लोकतांत्रिक व्यवस्था का भी होता है ,आगे आप समझदार हैं जाइए मोमबत्ती खरीद लाईए और निकल पड़िए बिना यह सोचे कि आप क्या करने जा रहे हैं और क्यों करने जा रहे हैं बिल्कुल वैसे ही जैसे आप वोट करने जाते हैं बिना कुछ सोचे और समझें,या फिर वैसे जैसे हिन्दू मुस्लिम मंदिर मस्जिद की फालतू जंग में कूद जाते हैं।
आपसे प्रियंका और रोज़ा कोई सवाल नहीं करेंगी मगर बेटियां आपके घर में भी हैं ,अब सोचिए क्या सिर्फ मोमबत्ती जलानी है या फिर बलात्कारी सोच का दहन करना है फैसला आपका है बेटी आपकी है।
प्रियंका मै और क्या कहूं बस इतना कि, जो मुमताज नाज़ा के शब्दों में है
कोख में तुम पले हो चूस कर मां का लहू
खून की तबसे ही शायद लग गई है तुमको बू
दुश्मने हव्वा हो तुम ,हो मांओं बहनों के अदू
नौ – ए – इंसानी को कर डाला है तुमने स्याह रू।।
रूह मुर्दा,दिल है काला,कितनी गंदी है निगाह
आइने में देखते हो किस तरह यह रू स्याह
हरकतें ऐसी कि अब शैतान भी मांगे पनाह
नन्ही नन्ही बच्चियों का जिस्म कर डाला तबाह।।
निशब्द:
यूनुस मोहानी
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