अब आप अमीर लोगों को कौन समझाए अपने टीवी के सामने बैठकर कोई खबर देखी और लगे उस पर बात करने ,हालांकि अब टीवी विश्वसनीय नहीं रहा यह और बात है मगर फिर भी आदत तो आदत होती है खैर मै कहां आपकी आदत बदल पाऊंगा क्योंकि हिन्दू मुस्लिम,हिंदुस्तान पाकिस्तान की बहस तो शराब के नशे की तरह हो गई है जिसे देखो बहका हुआ है।
आपने एक खबर देखी होगी खबर उत्तरप्रदेश की थी जहां गरीब बच्चों के मिड डे मील में दिए जाने वाले दूध में एक बाल्टी पानी में एक लीटर दूध मिलाया जा रहा था अब शुरू हो गई इसी पर बहस सब लगे हुए हैं कि गलत हुआ ,भ्रष्टाचार हो रहा है ऐसा नहीं होना चाहिए मगर कभी आपने सोचा कि गरीबों को दूध हज़म नहीं होता!!!
आप मेरी बात से सहमत नहीं होंगे मगर मैं यह बात बड़ी ज़िम्मेदारी से कह रहा हूं कि गरीब के बच्चे को दूध हज़म नहीं होता,क्योंकि वह बड़ा होता है गुस्सा पीकर ,समाज के जरिए घोले गए नफरत के ज़हर को पीकर साहिब उसे दूध से क्या गरज़? आखिर वह दूध से कौन सा पोषण हासिल कर लेगा? उसे तो गम पीना है अमीरों की विलासिता के लिए आंसू पीने है तो वह अपनी आदत क्यों खराब करे?
आप ही बताइए आप तो बहुत समझदार हैं समाज के लिए बहुत सोचते हैं हाथ में चाय की प्याली लेकर और बात बात में कह देते हैं यार कैसी चाय बनाई है दूध डाला करो ठीक से, कहिए में गलत तो नहीं कह रहा जी हां समाजसेवी संस्थाएं भी इसी तरह गरीबों के हित के बारे में सोचती हैं आखिर उनका अनुभव आपसे ज़्यादा होता है ज़मीन पर काम करती हैं उन्हें पता होता है कि किसकी ज़रूरत क्या है,किसको क्या दिया जाय जिससे समाज का संतुलन न बिगड़े ,बस इतनी सी बात है जिसे आप समझने को तैयार नहीं है।
खुद सोचिए अगर गरीब बच्चे दूध पिएंगे तो उनका दिमाग तेज चल सकता है और वह समझ सकते हैं कि मंदिर मस्जिद के झगड़े से कोई भला नहीं होने वाला भला तब होगा जब हमें अच्छा स्वास्थ्य ,अच्छी शिक्षा और अच्छा रोजगार मिलेगा,लिहाज़ा इनके मुंह दूध बिल्कुल नहीं लगना चाहिए,थोड़ा बड़े होंगे शराब के आदी हो जाएंगे और अमीरों के दास बन जाएंगे।
सिर्फ इतनी सी बात है और इसे समाजसेवी खूब समझते हैं लिहाज़ा समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए ऐसा किया जाता है कि बच्चो को 2-2 चाय के चम्मच दूध देकर उन्हें सिर्फ उसका बता दिया जाय ताकि आगे भविष्य में अगर कभी दूध पीने का अवसर सौभाग्य से आ जाय तो उन्हें दिक्कत न होने पाए।
सिर्फ इतनी सी बात को इस समाचार वालों ने बिना समझे बूझे सनसनी वाली खबर बना दिया इन्हें समाज की कोई जानकारी नहीं है इन्हें नहीं पता कि गरीबों को दूध हज़म नहीं होता बिना बात के बतंगड़ बना दिया।
अरे गरीब आंसू पीते है ,आभाव की ज़िंदगी गुज़ार कर बिना इलाज के मर जाते हैं,गरीब की जवानी लड़का है तो मजदूरी में कट जाती है और लड़की है तो उत्पीड़न सहते हुए,आपको पता है गरीब बलात्कार भी शायद ही खबर बने वरना पंचायत में 5000 का जूर्बाना काफी होता है उसकी कहां कोई इज्जत होती है इज्जत तो जनाब अमीरों की होती है और इज्जत ऐसी कि किसी की भी इज्जत उतार दें इन्हें हक हासिल है।
देखिए हरगिज़ मत कहिएगा कि कानून की निगाह में सब बराबर हैं जनाब न्याय बहुत महंगा है बड़के वकील साहब की लंबी फीस है ,खैर मुझे अमीर विरोधी मत जानिए उनकी भी अपनी मजबूरी है,कुल मिलाकर सुनिए इज्जत चिन्मयानंद की है,आसाराम की भी इज्जत तो मेहुल चौकसी और नीरव मोदी की भी खूब है सुना है इज्जत तो विजय माल्या की भी है अंबानी परिवार की दासी का नाम इज्जत है जनाब।
बात जब इज्जत की है तो मुसलमानों के रहनुमाओं की भी खूब इज्जत है कभी आरएसएस प्रमुख इज्जत देते हैं कहीं प्रधानमंत्री तो कहीं गृहमंत्री,इज्जत तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने घर बुलाकर दी आपने नहीं देखा क्या? अगर आप इन सब पर गौर करते तो समझ जाते कि गरीबों को दूध हज़म नहीं होता।