गरीब हैं मरने दीजिए साहब, आपको जीत की बधाई।
आइए मंत्री जी आपका बिहार की धरती पर स्वागत है क्या पेश करू आपकी खिदमत में ? आइए आपको मौत का खेल दिखाता हूं आप पसंद करेंगे ,देखिए जब गरीब मां अपने फूल से बच्चे की लाश से लिपट कर रोती है उसपल के रोमांच को महसूस कीजिए।
जी हां अरे इन्हे तो मरना ही है आखिर गरीब हैं ,यह अभी बच गए तो आगे गटर में मर जायेंगे आखिर मौत तो नियति है लिहाज़ा ज़्यादा परेशान मत होइए वैसे और बताइए आगे का क्या प्लान है? हम लोग तो बड़ी तन्मयता से जनसेवा कर रहे हैं यह भी तो देशहित में ही है आखिर जनसंख्या भी बहुत हो गई है तो इसी बहाने कुछ कम हो सकती है।
मंत्री जी वैसे अगस्त भी आने वाला है मात्र 1 महीने का समय है फिर तो बच्चे मरेंगे ही आखिर अगस्त में बच्चे मरते हैं यह मै नहीं कह रहा आप उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री से पूछ लीजिए आखिर पढ़े लिखे अमीर घर के सभ्य व्यक्ति हैं झूट थोड़े बोलेंगे !
झूठे तो यह गरीब होते हैं इनसे सुबह अपने बच्चों को दूध पिलाया नहीं जाता लीची खिला देते हैं फिर चिल्लाते हैं सरकार को बदनाम करते हैं ,निर्लज्ज कहीं के। कभी कहते हैं इलाज नहीं है कभी खाना नहीं है कभी लू से मरते हैं अब इसमें सरकार क्या करे ? अपने दूधमुंहे बच्चे को खाली पेट लीची खिलाओ तुम ज़िम्मेदारी ले सरकार वाह भाई वाह खूब कही।
जब सब जानते हैं कि बाहर इतनी गर्मी है तो क्यों बाहर घूमो फिर लू से मर जाओ तो सरकार जवाबदेह ,ट्रेन में गर्मी से मर जाओ तो सरकार क्या करे और हां सुनिए गटर में उतरने के पैसे मिलते हैं फ़्री में नहीं उतरते यह लेकिन इन गरीबों का आप कुछ नहीं कर सकते इनका काम ही है रोना गाना ।
अब बताइए सब लोग चुनाव में व्यस्त थे आखिर कौन अस्पतालों की व्यवस्था देखता आखिर हमारे लिए अस्तित्व का सवाल होता है यह कहते हैं अस्पताल में दवा नहीं है बिस्तर नहीं है डॉक्टर नहीं है अरे न हो मेरी बला से हम चुनाव तो जीत गए आपको बहुत मुबारक हो पार्टी का जीतना भी और मंत्री बनना भी,यह सब तो लगा ही रहेगा मरना जीना आप बताइए खाने में क्या लेंगे ?
अस्पताल में गंध मचा रखी है गरीबों नें अरे बच्चा मर गया तो अब खामोश रहो पता है बड़के मंत्री जी अाए हैं कहे हैं बस एक साल इंतजार करो लैब बनवा देंगे अस्पताल सही होगा फिर इलाज होगा तब तक खामोश जो आवाज़ निकली और हां सुनो लीची से बीमारी होती है।