आदिवासी पीड़ित परिवार से मुलाक़ात करते हुए प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी चुनार के किले में बिना बिजली के सियासी करंट पैदा कर गईं ,और खुद को विपक्ष की आवाज़ साबित करने में कामयाब रहीं,सोनभद्र में हुए नरसंहार पर बहनजी का घर में दुबक जाना सबने देखा,वैसे मिस्टर मुस्कान यानी जवानी कुर्बान गैंग के चहीते नेता जी अभी तो सैर करके आए हैं और इतनी तेज धूप और उमस में निकलना भी ठीक न समझ घर ही रहे,आखिर ऐसी गर्मी में कौन एसी कमरों से बाहर जाए ,और फिर काम तो बोलता ही है इतना काम किया है लिहाज़ा जाने की कोई ज़रूरत भी नहीं एक बयान और एक प्रतिनिधिमंडल चला जाएगा।
आप मेरी बातों को बेमाना समझ नजरअंदाज कर दीजिए क्योंकि आपको तो सिर्फ बीजेपी का विरोध करना है और आरएसएस की बुराई करना है,आपको इससे क्या मतलब कि विपक्ष है कहां?
यह तो बात हुई महागठबंधन के दो महान दलों की आइए बात की जाए खुद को संभावना के तौर पर स्थापित करने के मंसूबे रखने वाले शिवपाल यादव की ,ज़रा तलाशिए तो सही कहां हैं वह शायद निगाह दूर तक जाकर वापिस मायूस लौट आई क्यों मैंने ठीक कहा ? प्रियंका गांधी ने अपने तेवर दिखा दिए हैं कि वह सड़कों पर उतरेंगी और उन्हें गर्मी बरसात से फर्क नहीं पड़ता वह संघर्ष के लिए तैयार हैं ,लेकिन जमीनी कहे जाने वाले नेता क्यों ज़मीन छोड़ रहे हैं यह चिंता का विषय है।

माया तो माया के मोह में ही हैं गरीब दलित और आदिवासी मरता है तो उनकी बला से हालांकि अब वह ट्विटर पर हैं और अपनी ज़िम्मेदारी उसी पर निभाती हैं ,बाकी उनके भाई जो उत्तर प्रदेश के राजा थे उनकी राजसंपत्ती का हिस्सा सरकार ने जब्त कर लिया है यह ज़्यादा चिंता का विषय है लिहाज़ा बहनजी उसमे ही व्यस्त हैं रही बात दलितों की तो उनका तो मुकद्दर है जिल्लत और मौत क्यों ?
अब मुझसे मत पूछिएगा कहां के राजा रहे कहां इतिहास में लिखा है जैसे सवाल,और हां मुझसे यह भी न कहिएगा कि आपको दलितों के पास पैसे से जलन है आप अमित शाह के बेटे पर व्यंग्य नहीं करते,पंडित जी ,ठाकुर साहब की कमाई पर मौन हैं मगर आनंद क्योंकि दलित हैं इसलिए आपको परेशानी है। तो सुनिए महोदय मुझे ज़िन्दगी प्यारी है,और मैंने सिर्फ बात बताई हैं,आप बस यूंही समझिए।
अखिलेश यादव

खैर कहां बेकार की बहस में फंस गए अखिलेश बाबू की बात करते हैं क्या दिलकश मुस्कान है,यूंही नहीं इनपर जवानी कुर्बान है लेकिन शायद धूप में निकलने से परहेज़ है इन्हे या फिर सलाहकार मंडली ने बताया होगा कि आप बस ट्वीट कीजिए सरकार ने बहुत काम किया था इसलिए जनता हमें वोट देगी घर बैठिए, बाबू जी घर पर हैं पैरो तले जमीन सरक रही है तो क्या?
वैसे भुट्टा बहुत पसंद है इन्हे बरसात में उसका स्वाद यूं भी बढ़ जाता है दलित मरे,आदिवासी मेरे आपसे क्या क्योंकि यह आपका वोटबैंक नहीं हैं,यादव मारे जाते रहें तो ज़्यादा चिंता मत करिए उनके पास आपके सिवा चारा नहीं है रही बात मुसलमानों की वह तो हैं ही बंधवा लिहाज़ा घर बैठिए और भुट्टा खाइए।
मुलायम और शिवपाल यादव

शिवपाल यादव एक संघर्षशील नेता ,गजब की संगठन क्षमता रखने वाले योद्धा ज़रूर कहे जाते हैं लेकिन वह भी कहीं न कहीं चाटुकारों के चंगुल में नजर आते हैं उनके फैसलों पर कहीं न कहीं चापलूस सोच का असर दिखता है जो उनकी नई पारी के लिए काफी खतरनाक है, हालांकि माया और अखिलेश के फ्लाप शो में उनकी भूमिका का बखान खुद बहनजी ने किया उसके बाद भी सुस्ती समझ से परे है।
शिवपाल यादव के पास पूरा मौका है नेताजी की विरासत को संभाल कर अपनी नई पार्टी को खड़ा करने का क्योंकि अखिलेश से मुसलमानों का मोह भंग हुआ है और उन्हें कहीं न कहीं मुस्लिम विरोधी कहा जाने लगा है ,लोकसभा चुनाव को इसबात के लिए आधार नहीं बनाया जा सकता कि अखिलेश की समाजवादी से मुसलमान जुड़ा है क्योंकि यह चुनाव अलग तरह का चुनाव था मगर हकीकत यही है कि ज़मीन सरकी है।
शिवपाल यादव

शिवपाल यादव की सही चाल 2022 की तस्वीर बदल सकती है ,लेकिन उन्हें इसके लिए ज़मीन पर उतरना होगा बाकी काम उनकी सहजता और लोगों को स्वाभाविक जोड़ने की क्षमता स्वयं कर देगी,बैकफुट पर खेलने से जहां उनके हिट विकेट होने का बहुत ज़्यादा खतरा है वहीं आगे बढ़ कर वह छक्का मार सकते हैं,लेकिन इसके लिए ट्विटर से उठकर सड़क पर आना होगा और यादव मुस्लिम के साथ अन्य पिछड़े वर्ग में विश्वास पैदा कर नेतृत्व तैयार करना होगा,इसके लिए हर मुद्दे पर सक्रियता दिखानी होगी और अखिलेश की हर गलती का समय रहते फायदा उठाना होगा,लेकिन यह तब संभव है जब वह अपने घेरे को तोड़ दें और अपने चारो ओर बने जाल से बाहर आएं,3500 की भीड़ को 35000 बताने वालों पर कड़ी नजर रखें और उनकी बातों में न आएं वरना परिणाम उन्होंने स्वयं देखा है।
प्रियंका गांधी ने जिस तरह सोनभद्र में हुए नरसंहार पर त्वरित ऐक्शन लिया ऐसा सामर्थ्य दिखाना होगा वरना बीजेपी के सामने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ही विकल्प बनने की ओर है जिसकी धमक सुनाई दे रही है।

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