आज जिस तरह पूरा मुस्लिम समाज भारत में अजीब सी उहापोह की स्तिथि में आ खड़ा है उसने उनके अंदर एक अजीब सवाल पैदा कर दिया है कि आखिर वह किस पर विश्वास करें ? मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का असली चेहरा सभी जानते हैं यह एक भ्रम के सिवा कुछ नहीं है और न ही इसने कभी मुसलमानों को सही दिशा दी ,जमीयत उलमा हिंद भी अपना चेहरा छुपाने में अब नाकामयाब होती दिख रही है हालांकि बीच में उनके द्वारा मुसलमानों के हित में कुछ आवाज लगाई जाती है और अक्सर कानूनी लड़ाई लड़ने में उसका ही नाम आता है लेकिन जिस तरह का खेल उसके द्वारा खेला जाता रहा है पिछले दशकों में वह आज भी जारी है जैसे असम के कोकराझार में हुए नरसंहार के बाद जिस तरह जमीयत के अध्यक्ष ने मोर्चा संभाल कर अरब देशों में बताया कि कहीं कुछ नहीं हुआ है यह तो सिर्फ एक बानगी भर है ऐसा बहुत कुछ अक्सर होता रहा है।

आज भी बीच बीच मे जमीयत अपना किरदार दिखाती रहती है हालांकि लोग अब समझने लगे हैं और इसीलिए इनकी मान्यता भी लगातार गिरी है अभी एक नया नाम बाजार में है मजलिसे मुशावरत किसी को नहीं पता कि इस मजलिस में मशवरा किसका माना जाता है कौन मशवरा देता है और मशवरा देने के लिए क्या योग्यता तय है इनके यहां लेकिन यह भी भारत की 20 करोड़ मुस्लिम आबादी की आवाज होने के दावेदार हैं ।

मुस्लिम बरेलवी तबका हमेशा से कई हिस्सों में बटा रहा है और इनका अधिकतर समय दूसरे मुसलमानों को खुद से दूर करने में समाप्त हो जाता है इधर जबसे केंद्र में सरकार बदली है इनमें कुछ सुधार देखा गया है लेकिन अभी भी इनके यहां से फतवा सबसे पहले ही आ रहा है खानकाहों में भी अक्सर जगह खादिमों ने अपना मकड़जाल फैला दिया है और लोगों की खिदमत के नाम पर उनका शोषण करने वाले लोगों की संख्या में दिन प्रतिदिन यहां वृद्धि हो रही है ।इन खादिमों की वजह से अक्सर जायरीनों को परेशानी होती है ।

अभी हालिया उदयपुर में जो घिनौनी घटना घटी और इसके तार अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम से भी जोड़े गए वहीं एक खादिम का जहरीला बयान भी सामने आया जिसके बाद प्रोपेगंडों का दौर शुरू हुआ है आज मुख्य धारा की मीडिया द्वारा लगातार खबर चलाई जा रही है कि अजमेर में कारोबार 90% तक इस भड़काऊ वीडियो के वायरल होने के बाद से घटा है लोगों ने अपने होटल की बुकिंग कैंसल करवाई हैं यह व्यक्ति जिसके द्वारा इस वीडियो को बनाया गया पुलिस के अभिलेखों में हिस्ट्रीशीटर दर्ज है और ड्रग एडिक्ट भी है अब सवाल यह आता है कि बिलकुल सही है जिस व्यक्ति ने यह काम अंजाम दिया वह अपराधिक प्रवत्ति का व्यक्ति है लेकिन इस सवाल का जवाब कौन देगा ऐसे अपराधिक तत्व दरगाह शरीफ परिसर में खादिम के तौर पर कैसे हैं ?

जब व्यक्ति हिस्ट्रीशीटर है तो उसके जुर्म से तो काफी खादिम पहले से वाकिफ होंगे फिर इसे कैसे दरगाह परिसर में खिदमत का अवसर मिलता रहा ? आखिर दरगाह कमेटी क्या देखती है ? क्या उसका काम सिर्फ तमाशा देखना है ?और अभी भी क्या सभी खादिमों ने ऐसी कोई व्यवस्था की है जिसके माध्यम से ऐसे अपराधिक प्रवत्ति के व्यक्तियों को दरगाह में खादिम के तौर पर प्रतिबंधित किया जा सके ?
इन सभी सवालों के जवाब न में हैं ऐसा क्यों है आखिर अजमेर शरीफ सूफिया का मरकज है अर्थात अध्यात्म का केंद्र है वहां ऐसे लोगों का क्या काम ? अक्सर दरगाहों पर खादिमों का कब्जा दिखता है जिसमें से कई अपराध में लिप्त हैं लेकिन इनपर खामोशी क्या सही है ? खैर सभी जमातों का यही हाल कमोबेश मिलता है और यह सभी अपने निजी मसलों के लिए एक मंच पर तो आ सकते हैं लेकिन कौम के किसी मसले के लिए कभी एक साथ खड़े नहीं दिखते? आखिर क्या वजह रही कि नुपुर शर्मा मामले ने जब तूल पकड़ा तो सभी मुस्लिम संगठनों ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस नहीं की ? सबने अपना अपना राग क्यों अलापा? बुलडोजर का मामला हो या सीए एनआरसी का मामला यह सब कभी एक मंच पर नहीं दिखे अधिकतर तो चुप्पी ही साधे रहे ।
अपने निजी स्वार्थ साधने के लिए एक सुर में बात करने वाले कभी समाज के लिए ऐसा क्यों नहीं करते यह बड़ा सवाल है और इसका जवाब हमें ढूंढना होगा ।

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