जी हां मेरी बातें आपको हमेशा से ज़हर ही लगती हैं ,मगर लगें मेरी बला से, सुनिए इसे मेरा गुरूर मत समझ बैठियेगा, यह इसलिए कहा कि आपको गलतफहमियां पालने की भी सख्त बीमारी है,अगर किसी पर भरोसा किया तो उसके लाख धोखा देने पर भी उसकी मसीहाई का दावा बरकरार रहता है और किसी पर शक किया तो बिना उसकी किसी गलती के उसे अपराधी मान बैठे,लेकिन सुनिए मैं यह ज़हर जैसी लगने वाली बात आपसे इस लिए कह रहा हूं कि बीमारी का इलाज कड़वी दवा से होता है लिहाज़ा आपको इसे बर्दाश्त तो करना ही होगा।

आप अभी अभी बाबरी मस्जिद के फैसले के शोर से बाहर आए हैं ,जी हां वही फैसला जिसे आने में बरसों लगे और इन सालों में कई लोग रोज़- बरोज़ अमीर हुए कईयों ने पद पाये कई कौम के नेता बन गए और हम सब इंतज़ार करते रहे कि फैसला आयेगा,यह सब क्यों हुआ कैसा हुआ किस वजह से हुआ यह जानना बहुत जरूरी है,आइए शुरवात बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी से करते हैं जिसके बारे में कुछ कहने की जरूरत नहीं क्योंकि आपको किसी भी हाल में यहां जमा हुए चंदे का हिसाब नहीं मिलना है जिसे आपने जज्बात में आकर दिया।

जफरयाब जिलानी का नाम तो आपकी ज़ुबान पर ही होगा ,आखिर इन्होंने कौम की कितनी खिदमत की है पूरा बाबरी मुक़दमा लड़ा, कौम के खैरख्वाह के तौर पर इन्हें आप जानते होंगे ,जिन्होंने अपनी पूरी मेहनत और सलाहियत इस केस में झोंक दी ,लोग सिर्फ बात कर रहे थे तब यह अपना काम कर रहे थे.
कुछ लोग हालांकि कहते हैं कि वकील साहब को एक आलीशान मकान भी किसी ने तोहफे में दिया है,कोई विश्व हिन्दू परिषद् का नाम लेता है मैं कोई इल्ज़ाम नहीं लगा रहा बस जैसा लोग कहते हैं वही आपको बता रहा हूं वैसे इस बात का जवाब आजतक खुद जिलानी साहब ने भी नहीं दिया कि यह घर कैसे आया,खैर उनकी मेहनत का ही नतीजा रहा कि वह इस्लामिया डिग्री कालेज और मुमताज कालेज के सर्वेसर्वा बन गए ,वक्फ की ज़मीन के एक टुकड़े की जंग लड़ते ढेरो वक्फ की ज़मीनों का सदुपयोग करने का सौभाग्य आपको प्राप्त हुआ है ,जिलानी साहब ने बाबरी की जंग इतनी मजबूती से लड़ी कि समाजवादी पार्टी ने उन्हें सरकार में महत्वपूर्ण पद दिया बड़ा रुसूख है वजह सिर्फ अल्लाह के घर की हिफ़ाज़त में जी जान से जुटे रहने, सुबह से शाम तक शाम से पूरी पूरी रात बाबरी मस्जिद की लड़ाई में व्यस्त रहना जिसका इतना सब कुछ फल है,आप कहीं मेरे बातों को व्यंग्य तो नहीं समझ रहे हैं,खैर आपकी मर्ज़ी जैसा आप समझें मैं तो मेहनत के फल की बात कर रहा हूं कि आप कहीं ऐसा न समझ बैठे कि यह सब कुछ यूंही मिलता है इसके लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं ,कितनी मेहनत करनी होती है,कई बार हद पार करनी पड़ती है तब जाकर कहीं किसी को इतना सबकुछ मिलता है।

इस तरह अल्लाह के घर (इबादतखाना) की हिफ़ाज़त के नाम पर इनाम पाने वाले वकील साहब अकेले नहीं है पूरी फौज मौजूद है, फैसले से असंतुष्टों के मुखर बयान तो सुने होंगे आपने ,कहीं न कहीं उन्होंने आपके दिल को भी छुआ होगा, क्योंकि धर्म के मामले में जज्बाती तो आप भी हैं यूंही आप इनके व्यापार में सहयोगी तो बन नहीं जाते खैर मैं कुछ नाम लेता हूं ,जफरयाब जिलानी,असदुद्दीन ओवैसी,मौलाना महमूद मदनी भी इस फेहरिस्त में शामिल हो गए हैं शायद सरकार के सुरक्षा सलाहकार के यहां दावत नहीं मिली और चाचा अरशद मदनी बुला लिए गए इसलिए गुस्सा आ गया हो खैर कुछ भी रहा हो लेकिन एक नाम तो बढ़ा.

उधर सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ज़ुफर फारूखी जिनकी ईमानदारी साबित करने के लिए आजकल सीबीआई मेहनत कर रही है आखिर लोगों ने ढेरों वक्फ की ज़मीन बेचने का इल्ज़ाम लगा दिया है,बेचारे कौम की खिदमत कर रहे थे लोग पीछे पड़ गए।न जाने लोगों को क्या दिक्कत है जब दरगाहों और मस्जिदों की ज़मीन वहां के मुतवल्ली बेचना चाह रहे हैं तो चेयरमैन उनकी मदद नहीं करेगा तो कौन करेगा ?आप ही बताईए,जाने दीजिए इनकी जांच चल रही है अब पूरी उम्मीद है कि यह ईमानदार साबित होंगे ,बाबरी प्रकरण पर इनके द्वारा जो मदद की गई वह तारीफ के काबिल है उसका इनाम जरूर मिलेगा ,अब इनाम भी उसे ही मिलेगा जो अच्छा काम करेगा।
ओवैसी साहब तो मसीहा ही हैं ,मुसलमानों की अकेली संजीदा और निडर आवाज़ हैं, जो हर मसले पर अपनी बात अपने हिसाब से कौम की आवाज़ के तौर पर रखते हैं ,यह बात और है कि मुसलमान इनकी आवाज़ को अपनी आवाज़ पूरी तरह मानने को तैयार नहीं हैं ,फिर भी लगे रहिए हर जगह खाता खुल जाएगा, वैसे मुसलमानों के मसीहा इस्लाम के सभी उसूलों के पाबंद है और सुन्नत पर अमल करते हैं ,दाढ़ी ,टोपी, शेरवानी उनकी पहचान है ।बेटी की मंगनी की रसम ही देख लीजिए ओवैसी साहब ने दिलखोल कर गरीबों को यतीमों को करोड़ों रुपए खर्च कर आलीशान जगह पर बहुत महंगे बर्तनों में खाना खिलाया लेकिन लोग हैं कि उसे फिजूलखर्ची बता रहे हैं ।कोई कहता है कि वहां गरीबों की इंट्री नहीं थी , इन लोगों का तो काम ही है इलज़ाम लगाना जिसे सच देखना हो वह यूट्यूब पर मौजूद वीडियो देखें ताकि किसी पर झूठा इल्ज़ाम न लगाया जाए और जो कहा जाए सच कहा जाए।

बदरुद्दीन अजमल भी एक नाम है जो मुसलमानों के खैरख्वाह हैं , अमामा और दास्तार का तो कुछ पूछना ही नहीं आपको हर जगह मिल जाएंगे, संघ के मुख्यालय से लेकर कथित सेक्युलर नेताओं के दर तक इनकी रसाई है,मामूली बात नहीं है यह पूरी क़ौम को हांकते हैं इनकी एक आवाज़ पर लाखों करोड़ों लोग जमा होते हैं ,इनकी बात मानते हैं शायद यही वजह है कि यह कोई कारोबार किए बिना लंबी गाड़ियों में टहलते हैं, आलीशान मकान में रहते हैं ,दुनिया घूमते हैं ऐसा हो भी क्यों न क्योंकि अल्लाह के दीन का प्रचार प्रसार करते हैं ,लोगों को सही रास्ता दिखाते हैं लिहाज़ा अल्लाह इन्हें इनाम देता है,आप भी बिना बात इनपर शक करते हैं,अब कभी कभार किसी नेता ने कुछ खिदमत में पेश कर दिया तो आपको क्यों परेशानी हो ,आखिर आपको विश्वास में लेने के लिए इतनी मेहनत की है उसका कोई फायदा तो होना ही चाहिए,में भी कहां बेकार की बहस में पड़ गया ,बस इतना समझिए कि मंदी अाई हुई है लेकिन इस धंधे में कोई मंदी नहीं है सब चंगा है ,फैसले से पहले भी फायदा ही फायदा फैसले के बाद भी अब कुछ लोग परेशान है कि जिनके रोजगार पर फैसले के बाद ताला लग सकता है लिहाज़ा आइए उनकी मदद करें । बाक़ी में ही क्यों सब कुछ कहूं आप भी तो अकलमंद हैं तस्वीरें देखिए और समझिए ,ज़रा बारीकी से देखिएगा।


यूनुस मोहानी
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younusmohani@gmail.com

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