भारतीय मुसलमान एक अनजाने खौफ में है जबकि मुसलमान वह क़ौम जिसे सिर्फ अल्लाह से डरने का हुक्म है ताकि वह दुनिया के हर खौफ से दूर हो जाये,मुसलमानों के कायद कहलाने वाले ज्यादा ही डरे हुए दिखते हैं या इसका यह मतलब निकाला जाए कि अब उनके चेहरों से नकाब उतर चुकी है और उनकी असलियत को दुनिया देख रही है।
जिस वक्त क़ौम को आपस में एकजुट होकर महज अपने मसायल का हल ढूंढना चाहिए उस वक्त यह स्वयंभू या कथित मुसिल्म कयादत अपने धंधे में व्यस्त है और पूरा समाज इनके मरे हुए ज़मीर की बदबू से चैन की सांस नही ले पा रहा है ,देश में जिस तरह की गतिविधियां चल रही हैं उससे सभी भली भांति परिचित हैं।

हाल ही में एक मौलवी उमैर अहमद इलियासी जोकि ऑल इण्डिया इमाम एसोसिएशन के प्रमुख हैं अब यह बताना बहुत मुश्किल है कि इस संगठन से जुड़े इमाम किन मस्जिदों में नमाज़ पढ़ाते हैं क्योंकि अधिकतर मस्जिदों के इमाम इस संगठन के बारे में कुछ नहीं जानते ।
वहीं जिस तरह का इस संगठन का नाम है उसके आधार पर आजतक कोई देशव्यापी मुहिम मस्जिदों के इमाम की बिगड़ी हुई दशा को सुधारने के संबंध में इस संगठन के द्वारा नही की गई, जैसा कि सियासी समझ रखने वाले समझते हैं कि इमाम का मतलब मस्जिद में नमाज पढ़ने वाले अधिकतर लोग उसके प्रभाव में होते हैं तो अगर इस तरह का कोई बड़ा इमामों का संगठन हो तो सीधे संगठन की हिमायत हासिल कर बाकी समाज को अपने पक्ष में खड़ा किया जा सकता है लिहाजा मौलवी साहब का दखल भारतीय राजनीत में खासा है और हर दल से इनकी नजदीकियां दिखती हैं ,अक्सर टीवी स्क्रीन की शोभा बढ़ाते हुए कौम का सबसे बड़ा हितैषी होने का ढोंग रचते भी दिखते हैं।
यहां बात सिर्फ मौलवी उमैर अहमद इलियासी की नहीं है लेकिन इनकी बात इस वक्त इसलिए जरूरी है क्योंकि अभी हाल ही में उन्होंने एक बड़ा काम अंजाम दिया है और वह यह है कि उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत जी को देश का राष्ट्रपिता कहा है सिर्फ इतना ही नहीं उन्हे राष्ट्रऋषि का खिताब भी दिया है ,मौलवी ने संघ प्रमुख से मुलाकात की इसमें कोई बुराई नहीं है सभी से मिलना चाहिए लेकिन जब आप समाज के संबंध में बात करते हैं तो उसे सार्वजनिक होना चाहिए उसका कोई एजेंडा होना चाहिए जोकि इस मुलाकात में मौजूद नहीं था इस मुलाकात का उद्देश्य स्पष्ट नहीं था ।

इस मुलाकात में मौलवी अकेले नहीं थे कौम के कुछ अन्य हितैषी भी मौजूद थे इस तरह के बुद्धिजीवी बाबरी मस्ज़िद केस के फैसले से पहले भारतीय मुसलमानों को लखनऊ के एक पांच सितारा होटल में संघ के कहने पर ज्ञान दे रहे थे,अनीस अंसारी , जस्टिस बीडी नकवी जैसे लोग पहले भी गुल खिला चुके हैं इस बार इलियासी के साथ पूर्व चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी,नजीब जंग,जमीरुद्दीन शाह,शहीद सिद्दीकी पत्रकार,और व्यवसाई सईद शेरवानी भी शामिल थे इसमें एक बात काबिले गौर है कि इनमें से कई नाम ऐसे हैं जिनकी पीके से भी मीटिंग हुई है,अब यह सब मिलकर कहीं समाज का बहुत भला करने की फिराक में तो नहीं हैं यह बड़ा सवाल है ? क्योंकि जब भी ऐसी मुलाकात होती है बाद में समाज का भला करने की बात ही निकल कर आती है लेकिन अक्सर यही देखा गया है कि होता इसका उलट है।

खैर यह मात्र एक चेहरा है आइए अब दूसरी तरफ देखा जाए हाल ही में बरेलवी समुदाय में एकजुटता की मुहिम शुरू हुई जिसने विवाद को गहरा दिया मौलाना अहमद रज़ा खान के उर्स के मौके पर शुरू हुई इस पहल ने नया मोड़ ले लिया है और अब मुसलमानों के एक तबके में आपसी खानाजंगी शुरू हो गई है मौलवी एक दूसरे पर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं काल्पी के एक मौलवी कुछ कहते हैं उसपर प्रतिक्रिया स्वरूप कुछ और बात होती है और इस प्रकार एकता का सपना चूर करने की साजिश में इस तरह का मौलवी लग चुका है और काफी हद तक कामयाब भी है ।

अब वक्त आ गया है ऐसी बेनकाब कयादत को नकार देने का ,ऐसे जुमलबाज जो तोड़ने का काम करते हैं उन्हें अपने मदरसों ,मस्जिदों और अपनी साफों से निकाल देने का ,अगर आप जोड़ने की बात नही कर सकते तो मिंबर से बोलने का अधिकार नहीं है ऐसा स्पष्ट कहने का अगर हम नहीं चेते तो दुश्मन ने अपनी चाल चल दी है बेईमान कयादत ईमानदारी से इनके मिशन पर चल पड़ी है अब फैसले की घड़ी है कि हम क्या करेंगे ? फिरको में बटे रहेंगे या एक होकर देश और समाज को आगे बढ़ाने में सहयोग करेंगे ?

मौलवी उमैर हो या ग्यास या कलीम रिज़वी कोई भी यह सब बेनकाब हो चुके हैं हर तोड़ने की बात करने वाला बेनकाब हो चुका है अब हमें समझना होगा और शक्सियत परस्ती से बाहर आकर सोचना होगा साथ ही इन रिटायर ब्योरोक्रेट्स को भी सर पर नहीं बिठाना होगा इनकी जगह पिछली सफ में तय करनी होगी तभी आप दलालों से आजाद हो सकते हैं। मुसलमान कहां आकर खड़ा है जब पैगंबर की विलादत का महीना चल रहा है तब वह एक दूसरे पर कीचड उछाल रहा है जब सिर्फ पैगंबर का जिक्र होना चाहिए तब ऐसी बात करने वाले कौन हैं आप खुद पहचान लीजिए।

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