पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर होने वाले व्यापार को निलंबित करने के भारत के एकतरफा निर्णय की आलोचना की है. इसके साथ ही इस व्यापार के एक बार फिर शुरू होने की उम्मीद भी जाहिर की है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने आलोचना करते हुए कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि व्यापार जल्द ही शुरू होगा क्योंकि यह दोनों देशों के बीच भरोसा स्थापित करने की पहल है.’’
भारत ने क्यों लिया फैसला
दरअसल, बीते दिनों ऐसी खबरें आई थीं कि सीमा पार से हथियार, मादक पदार्थों और नकली मुद्रा की तस्करी के मकसद से इस मार्ग का दुरुपयोग किया जा रहा है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारत सरकार ने दोनों देशों के बीच एलओसी पर होने वाले कारोबार को 19 अप्रैल 2019 से निलंबित कर दिया. एलओलसी पर दोनों देशों के बीच चलने वाला व्यापार जीरो ड्यूटी पर आधारित है.
इस फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया था, ”राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी जांच में खुलासा किया है कि जो व्यक्ति भारत से पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन में शामिल हो गए हैं, उन्होंने वहां कंपनी खोल ली है. ये कंपनियां आतंकवादियों के नियंत्रण में हैं और बेहद चालाकी से सीमा पार व्यापार में संलिप्त हो रही हैं.” मंत्रालय के मुताबिक इसको रोकने के लिए एक सख्त विनियामक और प्रवर्तन तंत्र तैयार किया जा रहा है और विभिन्न एजेंसियों के साथ विचार-विमर्श के बाद इसे लागू किया जाएगा.
2008 से चल रहा व्यापार
भारत और पाकिस्तान के बीच साल 2008 में आपसी भरोसा कायम करने के मकसद से नियंत्रण रेखा के आर-पार व्यापार शुरू किया गया था. दोनों देशों के सीमाई इलाके में भारतीय कारोबारी मुख्य रूप से जीरा, चिली पेपर, कपड़े, इलायची, केला, अनार, अंगूर और बादाम का निर्यात करते थे जबकि पाकिस्तान की ओर से प्रेयर मैट, कालीन, कपड़ा, संतरे, आम और जड़ी-बूटियों का निर्यात होता था. यह व्यापार मुख्य तौर पर कश्मीर क्षेत्र के बारामूला के सलामाबाद और जम्मू क्षेत्र के पुंछ जिले के चक्कन-दा-बाग में होता है. यह कारोबार सप्ताह में चार दिन होता है.