महामहिम आप सब देख रहे होंगे उम्मीद है आप देश के हालात से बाखबर भी होंगे, आखिर आपके सचिवालय में इसका प्रबंध तो है ही ,ज़रा देखिए लोग आपसे मिलना चाहते है ,आपसे अपना दुखड़ा रोना चाहते हैं,आपको बताना चाहते हैं कि कोई नहीं सुन रहा है,हम सड़क पर हैं और पुलिस हमें मारती है,अब तो हम अपने हास्टल में होते हैं तब गुंडे मारते हैं और जब लाइब्रेरी में होते हैं तो पुलिस ।
महामहिम हर तरफ शोर है सिर्फ लोग चीख रहे हैं मगर कोई जवाब नहीं आ रहा है आप ही बताइए हमने सुन रखा है कि जब हर तरफ से निराश हो जाइए तो महामहिम राष्ट्रपति महोदय को दया याचिका दीजिए हम सब याचक बनकर आपके द्वार आना चाहते हैं मगर फिर पुलिस मारती है।
हम कहां जाएं कोई तो इशारा दीजिए ,आखिर कब तक पीटेगी यह पुलिस इतना ही बता दीजिए,आखिर आपके दर आएं हैं किसी के इशारे पर लड़कियों को भी सड़कों पर पुलिस मार रही है हास्टल में गुंडे और लाइब्रेरी में भी सुरक्षित नहीं है क्या आपने देखा है यकीनन देखा होगा आपने तो यह भी देखा होगा कि न्यायायलय ने कहा है कि हिंसा जब रुकेगी तब फैसला होगा ,अब इसका फैसला कौन करेगा कि हिंसा कौन करेगा और इसे कौन रोकेगा?
यह सारे सवाल उन बच्चों के है महामहिम जिन्हें कल के भारत का भविष्य कहा जाता है,इनमें कानून के छात्र भी हैं और इतिहास की छात्राएं भी ,ज़रा देखिए तो इसमें समाजशास्त्र के शिक्षक भी हैं,और दिहाड़ी मजदूर भी सब सड़क पर हैं आखिर इनकी कौन सुनेगा ?
दिल्ली से असम तक और गुजरात से बंगाल तक हर तरफ पुलिस की लाठी है साहब हम कहां जाएं महामहिम आपके दर भी तो नहीं आने देते पुलिस बहुत मारती है हालांकि सच यह भी है कि पुलिस के जवान लाठी बाद में मारते हैं पहले अपना ज़मीर मारते हैं ,आखिर यह बेचारे भी तो किसान के बेटे है उसी किसान के जो आत्महत्या करता है ,गरीब है कर्जदार है,इनके बच्चे भी विश्विद्यालय में पढ़ते हैं तो लाठी मारने से पहले मन मारना होता है।
गर हम आप तक नहीं पहुंच पा रहे आप तो हमारी आवाज़ सुन रहे हैं,हम जानते हैं आप देख रहे हैं आपने वह भी देखा कि किस तरह चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद सृजित भी हुआ और उसपर जनरल साहब रिटायर होते ही बिठा भी दिए गए हालांकि मै ज़्यादा कुछ नहीं जानता पहले पढ़ा करते थे कि तीनों सेनाओं का अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है।खैर मैं भी कहां की चर्चा कहां लेकर बैठ जाता हूं अभी तो आपके द्वार देश का युवा खड़ा है ,पुलिस पीट रही है कि मिलने नहीं देंगे ,जाने नहीं देंगे आप बुला लीजिए आपकी बात सुनेंगे यह पुलिस वाले आपका आदेश टाल नहीं सकते हैं यही मानते हैं एक बार तो कह दीजिए कि मेरे देश के बच्चों के लिए मेरे दरवाजे खुले हैं जिसे आना है आ जाए हम संवाद करे अब बच्चो से बात करेंगे।
देश सुनना चाहता है महामहिम यहां पुलिस पीटती है कुछ कहिए।।