हैदराबाद ,19 अक्टूबर आज हैदराबाद शहर में तहरीक मुस्लिम शब्बान द्वारा आयोजित सदाए उम्मत कांफ्रेंस के पहले अधिवेशन जिसे हैदराबाद पुलिस द्वारा बाधित किया गया और पहले से प्रस्तावित स्थान पर उसे नहीं होने दिया गया लेकिन आखिर में पूरे देश से आये हुए मुस्लिम बुद्धिजीवियों को तहरीक मुस्लिम शब्बान के आजमपुर स्थित केंद्रीय कार्यालय में ले जाया गया जहां इस अधिवेशन को आयोजित किया गया।
इस मौके पर लंबे विमर्श के बाद कुछ अहम प्रस्ताव पास किए गए जिसमें इस समय देश में ए एनआरसी को लेकर चल रही बहस पर विराम लगा दिया गया पूरे देश से अाए मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने एक मत से इस बात पर सहमति जताई कि मुसलमानों को किसी भी तरह एन आर सी का बहिष्कार नहीं करना चाहिए बल्कि इसका स्वागत करना चाहिए लेकिन साथ ही इस बात पर भी सहमति बनी कि अगर हुकूमत इसे इस तरह से चाहती है कि एन आर सी सिर्फ मुसलमानों के लिए है तो इसे मंज़ूर नहीं किया जाएगा क्योंकि मुल्क का मुसलमान हरगिज़ मुल्क के लोकतांत्रिक सेक्युलर ढांचे को तहस नहस नहीं होने देंगे।
अधिवेशन में मुस्लिम मजहबी ठेकेदारों और बिकाऊ नेताओं के खिलाफ भी प्रस्ताव पास किया गया साफ तौर से मौजूद लोगों ने इस बात पर सहमति जताई कि अब मुस्लिम मजहबी लीडरशिप की किसी सियासी बयानबाज़ी को हरगिज़ मिल्लत की आवाज़ नहीं माना जाएगा और यह उनकी व्यक्तिगत राय ही मानी जायेगी,इसी तरह बिकाऊ लीडरशिप का खुला बहिष्कार किया जायेगा।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व क्षात्रसंघ अध्यक्ष डॉक्टर नजर अब्बास ने अधिवेशन को संबोधित करते हुए सीधे तौर पर कॉन्फ्रेंस को रोकने के लिए असदुद्दीन ओवैसी और तेलंगाना हुकूमत को ज़िम्मेदार ठहराया उन्होंने कहा इनका डर साफ दिखाई दे रहा है क्योंकि इनकी सौदेबाजी उजागर हो रही है अब कौम इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
बंगाल से प्रतिनिधि मंज़र अकील जो कि बंगाल में एन आर सी को लेकर काफी बड़ा आंदोलन चला रहे हैं कहा कि मुसलमानों को हरगिज़ खौफजदा होने की जरूरत नहीं है लेकिन मुस्लिम नवजवानो को अपनी ज़िम्मेदारी निभानी होगी और कमजोर लोगों को दस्तावेज़ हासिल करने में उनकी मदद करें।
बिहार से आए जहांगीर आदिल अलीग ने कहा कि मुल्क में अमन बनाए रखने के लिए जरूरी है कि मुसलमान देश के अन्य सेक्युलर लोगों के साथ रहें और नफरत को किसी भी हाल में बढ़ावा न दिया जाए।
मशहूर उर्दू पत्रकार अशहर हाशमी ने कश्मीर मुद्दे को केंद्र में रखते हुए प्रस्ताव रखा कि भारत सरकार गारंटी दे कि मुल्क के हर शहरी को आजादी से जीने का हक ,अपनी राय रखने की आजादी और सुरक्षा दी जाए जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
अजमेर से तशरीफ लाए कामरान चिश्ती ने इत्तेहाद मिल्लत के लिए अपने मसलकी मसायल को अलग रख कर समाज के मुद्दों पर एकजुट होने का प्रस्ताव रखा जिसे मंज़ूर किया गया।
बिहार से आए औरंगज़ेब अरमान ने प्रस्ताव रखा कि मोब्लिंचिग के लिए भारत सरकार से मांग की जाए कि एक कानून बिहार हुकूमत की तर्ज पर केंद्र सरकार और बाकी प्रदेश की सरकार भी बना दे जिससे इसपर रोक लग सके जिसपर काफी बहस हुई और अंत में इसे मंज़ूर कर लिया गया।
इस इजलास में यूनुस मोहानी ने मुस्लिम समाज को ही इसकी परेशानी का ज़िम्मेदार बताते हुए कहा कि सौदेबाज नेता और मजहबी ठेकेदारों ने जगह जगह मुसलमानों को बेचा है अब इनके चेहरों से नकाब नोचने का वक़्त है इस बात का समर्थन करते हुए मोईद अज़हरी ने कहा यह एक कड़वी सच्चाई है अब इसपर खुल कर बहस हो रही है ,लिहाज़ा यह अधिवेशन सिरे से ऐसे लोगों का बहिष्कार करता है।
तहरीक के अध्यक्ष मोहम्मद मुश्ताक मलिक ने प्रस्ताव को पढ़ कर सुनाया और इसको मंजूरी दी ।

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