20 अक्टूबर रविवार,हैदराबाद तेलंगाना,तहरीक मुस्लिम शब्बान द्वारा आयोजित सादाये उम्मत कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल से आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना अबु तालिब रहमानी ने कहा कि उलमा मज़हब के ठेकेदार नहीं है बल्कि चौकीदार है उन्होंने यह बात तहरीक मुस्लिम शाब्बान के जरिए बांटी गई स्मारिका में यूनुस मोहानी द्वारा लिखित लेख” सियासी बाज़ार में मज़हब के ठेकेदार” पर सख्त गुस्से में कहीं उन्होंने साफ कहा कि वह जानते हैं कि यह शब्द कहां से आया है ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने वाले दलाल हैं इसी गुस्से की हालत में मौलाना ने खुद को चौकीदार बताया।
2019 लोकसभा चुनाव में में भी चौकीदार मुहिम बीजेपी द्वारा शुरू की गई कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के नारे चौकीदार ही चोर के जवाब में उसके बाद से लोग इसका इस्तेमाल करते आ रहे हैं हालांकि कोई मुस्लिम धार्मिक नेता इस मुहिम से अब तक नहीं जुड़ा था आज मौलाना अबुतालिब रहमानी ने आज सभी उलमा को चौकीदार बता दिया।
तहरीक मुस्लिम शबबान की यह कॉन्फ्रेंस इजाज़त न मिलने की वजह से नुमाइश मैदान की जगह म मेंहदीपट्टमम में एक मैरिज हाल में न्यायायलय द्वारा दी गई हिदायत के बीच संपन्न हुई जिसमें कोर्ट के हुक्म के अनुसार सिर्फ 6 वक्ता ही बोल सकते थे और सिर्फ 200 लोग ही शामिल हो सकते थे साथ ही इसका समय 2घंटा रखा गया था जिसकी वजह से बंगाल से अाए पूर्व सांसद मोहम्मद सलीम सहित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र नेता नजर अब्बास अजमेर शरीफ से अाए कामरान चिश्ती ने है सभा को संबोधित किया।
मौलाना रहमानी ने अपने संबोधन में यूनुस मोहानी का नाम लिए बगैर कहा कि में ऐसे स्वयंभू बुद्धिजीवियों को अपनी ठोकर पर रखता हूं उन्होंने लेख पर बंद शब्दों में आपत्ति जताई और खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तर्ज पर ठेकेदार की जगह चौकीदार कहा। स्मारिका में प्रकाशित लेख में धार्मिक ठेकेदारों के इतिहास को बताते हुए जनता को इनका बहिष्कार करने की बात लिखी गई है अब इस पर मौलाना को गुस्सा क्यों आया और उन्होंने खुद को चौकीदार किस तरह कहा है इन सवालों के जवाब मिलने अभी बाकी है।सवाल यह भी है कि क्या बीजेपी के नारे को बुलंद करना समाज को कोई खास संदेश है?