अब चुनाव सर पर हैं तो हर चीज अपनी जगह रहे यह संभव नहीं है,कहीं नफरत का तड़का है कहीं वादों की बरसात और कहीं योजनाओं की सौगात लेकिन इतने से कहां सत्ता आती जाती है इसके लिए कुछ और भी चाहिए जो आपको ख़बरों में बरक़रार रखे।
मध्यप्रदेश वाले कांग्रेसी बाबू को हिंदू राष्ट्र का सपना आने लगा है और इस सपने की सत्यता की पड़ताल के लिए उन्होंने महाज्ञानी बाबा को छिंदवाड़ा में आमंत्रित किया और उनके आशीर्वाद से नर्मदा में डुबकी मारके मध्यप्रदेश की चुनावी वैतरणी पार करने की मंशा को उजागर करते हुए हिंदू राष्ट्र के संगीत पर थिरकना शुरू कर दिया।
सत्ता का लोभ इतना है कि मुहब्बत की दुकान वाले हरियाणा में मुसलमानों पर चले बुलडोजर पर बोल न पाए और राजस्थान सरकार के मुखिया पुलिस से जुनैद और नासिर के परिवारों को न्याय दिलाने के लिए कुछ कह न सके,इतना ही नहीं मुहब्बत की दुकान पर किसको सामान मिलेगा इसका बोर्ड लगभग लगा दिया गया है।
उत्तर प्रदेश पहुंचते ही यह मामला और उजागर हुआ और मुहब्बत के दुकान वालों को अपनी दुकान में ऐसा कोई नहीं मिला जिसे उत्तर प्रदेश की बागडोर थमा सकते अंत में संघ की परवरिश में जवान हुए और फले फूले सत्ता सुख भोगे नेता जी को कमान थमा दी गई ,खैर जनाब यह सियासत है ऐसे ही की जा रही है इसका क्या है ?
वैसे अब सियासत में नूरा कुश्ती के सिवा होता ही क्या है जिन अडानी जी को लेकर शोर था वही अतिथि हैं और मलाई काट रहे हैं ,मोटरसाइकिल चल रही है ,गरीबों के हाल चाल जाने जा रहे हैं सब हो रहा है और देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी को कहा जा रहा है कि आप बस दुकान का प्रचार कीजिए करीब मत आइए ,हमसे कोई सवाल मत कीजिए न किसी जवाब की उम्मीद रखिए आपके पास विकल्प नहीं है हमें वोट दीजिए???
यह सब तो एक तरफ हो रहा है दूसरी तस्वीर में तो मामला और भी रोचक है किसी का मुंह काला करने की कोशिश हो रही है और किसी का मुंह बिगाड़ने की और इसपर सोने पे सुहागा यह कि दोनो पहले एक ही दल में मलाई काट रहे थे फिर साथ में ही पाला बदल कर विपक्ष के साथ आए और इनमें से जिनका मुंह काला करने का प्रयास हुआ उन्हें सत्ता से जुदाई बर्दाश्त नहीं हुई और उन्होंने वापसी कर ली सही समझें आप दारा सिंह चौहान ही की बात कर रहा हूं और जब वापसी हुई तो टिकट उसी विधानसभा से मिला जहां से पहले विधायक समाजवादी से चुने गए थे ,अब जनता में नाराजगी है तो उसे हमदर्दी में बदलने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ रही है ,अब सत्ता के लिए भले मुंह ही काला क्यों न करवाना पड़े इतना तो चलता ही है? खैर खबर के अनुसार किसी सरफिरे ने बहकावे में आकर इन महाशय पर स्याही फेंक दी या फिर चुनावी दंगल का यह भी कोई दांव है जनता को छलने के लिए यह जांच के बाद पता चल सकता है क्योंकि जांच शब्द भारत में विचित्र सा है समझते हैं न आप?
स्याही वाला किस्सा तो आपने सुन लिया आइए अब बात जूते की भी हो ही जाए क्योंकि जूते का राजनीत से बड़ा पुराना रिश्ता रहा है आप भूल तो नहीं गए इसी देश में एक जाति के नाम का जूता बेचने पर जूता चला था ,एक बार सांसद विधायक में जूता चला वैसे जूता तो अंतर्राष्ट्रीय राजनीत का विषय है कभी बुश वाला जूता, कभी मनमोहन जूता कभी राहुल वाला जूता कभी केजरीवाल वाला यानी जूता तो राजनीत का एक रोचक विषय है यह जिस पर पड़ता है उसका भी भला जो फेंकता है उसका भी भला करता रहा है ,जूता व्यक्ति को प्रसिद्धि का सफर तय करवाता रहा है।
वैसे उत्तर प्रदेश में भी अब जूता चल गया है और जूता भी उनपर चला है जो बगावत में उनके गुरु रहे जिनका मुंह काला करने का प्रयास हुआ समझें जी हां मौर्या जी पर वही मौर्या जी जो लगातार रामचरित मानस और हिंदू देवी देवताओं पर टिप्पणी करते फिर रहे हैं वह ऐसा किस दल को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से कर रहे हैं यह मामला रोचक है क्योंकि वह स्वयं जिस बिरादरी से आते हैं वहां तो हिंदुत्व की लहर है और उल्टे उनके विचारों के प्रति गहरी असहमति है तो किस वर्ग को लुभाने का वह प्रयास कर रहे हैं पता नहीं या बात पर्दे में है जो पर्दा बहुत झीना है!
मौर्या जी के बयानों से बीजेपी को ही फायदा है ऐसा प्रतीत होता है तो अखिलेश कैसे उनका साथ दे रहे हैं यह चौकाने वाली बात है खैर स्वामी प्रसाद मौर्य पर जूता चला है यह और बात है कि उन्होंने उससे खुद को बचा लिया निशाना तो चूक गया लेकिन खबर बन गई ,कुल मिलाकर सियासत इतनी है कि देश की जनता के साथ खिलवाड़ हो रहा है और अल्पसंख्यक वर्ग को मजबूर मान कर उसकी बात से भी डरा जा रहा है सब मिलकर कांग्रेस के नए संघ वाले अध्यक्ष जी का स्वागत कीजिए क्योंकि सियासत स्याही से जूते तलक साफे से तिलक का सफर करके पहुंच गई है।