असम में सैलाब आया है बिहार भी डूबा है खबर है 70 लाख लोग प्रभावित हुए हैं लेकिन यह अनुमान है सच इससे भी ज़्यादा भयावाह है,लेकिन इससे क्या होता है ऐसा तो हर साल होता रहा है,नेहरू ने देश को इतना बर्बाद कर दिया जहां देखिए बाढ़ आ जाती है।
कहने वाले कह रहे हैं कि 3000 करोड़ रुपए की मूर्ति की जगह बांध की मरम्मत हो जाती तो बाढ़ से बच जाते,पता नहीं कैसे लोग हैं हर जगह अपना दिमाग चलाते हैं ,आखिर मूर्ति गौरव का विषय है जान से ज़्यादा सम्मान ज़रूरी है समझे कि नहीं इसलिए मूर्ति बनी,खैर कहां इस बहस में पड़े हैं।
वैसे बाढ़ कोई चर्चा का विषय नहीं है क्योंकि गलती जनता की है कि ऐसी जगह क्यों रहती है जहां बाढ़ आती है ,आखिर इसमें सरकार का क्या कुसूर कोई सरकार ने तो पानी नहीं भरा ,ज़रा सी परेशानी हुई चिल्लाने लगे सरकार निकम्मी है अरे सरकार जुट गई है काम में।
मुख्यमंत्री जी हवाई जहाज़ से देख अाए हैं आखिर धरती पानी से डूबी उसमे हरे भरे पेड़ मनोरम दृश्य होता है ,सब देख लिया गया है ,प्रधानमंत्री जी भी आएंगे सर्वेक्षण के लिए देखेंगे कैसे तैरते है बाढ़ में फंसे लोग ,आखिर बड़ा रोमांच है बाढ़ में भी।
वैसे भारत को एक बाढ़ पर्यटन की योजना बनानी चाहिए जहां बाढ़ अाए हवाई जहाज से पूरे क्षेत्र को घूमने के लिए टिकट हो इस तरह यह रोमांच खास लोगों तक सीमित नहीं रहेगा और आम लोग भी इसका लुत्फ उठा सकेंगे।
इससे जहां समाज में समानता आयेगी,वहीं संसाधनों का सही उपयोग भी होगा ,बाढ़ से मात्र राजस्व विभाग के लोगों को लाभ क्यों हो एयर इंडिया जैसी एयरलाइंस को भी इसका हिस्सा मिलना चाहिए।
समाज में समानता पर याद आया कि प्रधानमंत्री ने दुबारा एनडीए के जीतने पर बताया था कि इस चुनाव में जातिवाद का बंधन टूट गया है,यानी न्यू इंडिया में जातिवादी सोच समाप्त हो गई है।
हमारे प्रधानमंत्री ने कहा सभी ने मान लिया आखिर प्रधानमंत्री कह रहे हैं झूट तो कह नहीं रहे होंगे।आखिर जनता का उनपर मीडिया की तरह भरोसा कायम है।लेकिन बरेली के कोई विधायक जी हैं ब्राह्मण उनकी बेटी ने दलित से ब्याह कर लिया देश में इस समय यही सबसे बड़ी समस्या है।
जातिवाद समाप्त हो गया है लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि पंडित जी की बेटी दलित युवक से शादी करे वह भी तब जब वह न तो प्रशासनिक अधिकारी हो, न न्यायाईक अधिकारी,और न ही कोई बड़ा उद्योगपति यह तब तो सही लगता है ,मगर जब आम दलित युवक की बात है तो बिल्कुल अपराध है,यह समाज तोड़ने वाली बात है,सब दूषित कर दिया ।
बाढ़ तो आती रहती है हर साल आयेगी लेकिन समाज में साक्षी वाली बात बहुत बड़ा मसला है इसपर व्यापक चर्चा आवश्यक है आखिर पूरी व्यवस्था तोड़ने की साजिश है।
मुझे तो लगता है कि बाढ़ कहीं इसी पाप के कारण तो नहीं आती,ज़रा इसपर भी चर्चा कीजिए,मेरी समझ से बाढ़ का सीधा संबंध साध्वी प्रज्ञा जी के श्राप से है,पता लगाया जाय जहां बाढ़ अाई है वहां किसी ने साध्वी जी का विरोध तो नहीं किया।
बाढ़ वैसे बुरी चीज नहीं है,बहुत सारे सामाजिक संगठन गुहार लगाते हैं मदद की देश के लोग आगे बढ़ कर चंदा देते हैं फिर क्या ज़रा देखो कौन सी नई गाड़ी अाई है !!
आप ही बताइए फिर कैसे बुरी है बाढ़ ,जो बर्बाद हुए उनकी किस्मत मगर जो आबाद हुए उनका भी तो कुछ सोचिए कब तक तबाही का रोना रोया जाए।
आपको पता है अब मोब्लिंचिंग के हादसों को रोकने के लिए हेलपलाइन नंबर लांच हुआ है जब आपको भीड़ मारे तो कॉल ज़रूर कीजिएगा दिल्ली से बैठ कर आपकी मदद होगी और सुनिए यह काम बड़ी मेहनत से किया गया है इसे सराहिए क्योंकि आगे चंदा भी देना पड़ सकता है।
बाढ़ अाई है कोई भारत क्रिकेट वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में हारा तो नहीं है जो फौरन ऐलान किया जाय दुख जताया जाय ,हौसला दिया जाय,ज़रा सब्र रखिए हाथ पांव मारिए ,पटवारी आयेगा और आपका नुक़सान लिखेगा 10 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक फिर क्या आपकी मौज हो जाएगी आखिर आपकी ज़िन्दगी कोई इतना महत्व नहीं रखती।
मैं जानता हूं मैं बेतुकी और आपको बुरी लगने वाली ही बात करता हूं ,मगर जनाब कड़वी दवा ही फायदा करती है याद रखिए,इसलिए इन बातो को सोचिए कई पहलू निकलेंगे इन बेतुकी बातो में, और फिर तैयार हो जाइए लोगों की मदद के लिए सैलाब में परेशान लोग इंसान है हिन्दू या मुसलमान नहीं है।
मस्जिद और मदरसों के साथ ख़ानक़ाहों को खोलिए सैलाब से परेशान लोगो के लिए,सिर्फ डाक्टर कफील के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम मत चलाइए बल्कि उनसे कुछ सीखिए और मैदान में आइए।
आज बाढ़ में फंसे लोगों को मदद की ज़रूरत है अगर वाक़ई मोबलिंचिंग रोकना चाहते हैं तो मददगार बनकर आइए मोहब्बत से नफरत को हरा दीजिए।
एडवोकेट महमूद पराचा और मौलाना महमूद मदनी से कह दीजिए हम मोहब्बत वाले हैं और मोहब्बत ही हमारा हथियार अब हम इस लड़ाई को मोहब्बत से जीत लेंगे। महमूद पाराचा को आप जानते ही होंगे इनके पिता जी भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे आपको बता रहा हूं अब यह वकील साहब एक साथ 26000 लोगों को हथियार का लाइसेंस भरने की ट्रेनिंग देंगे समझे आप एक तरफ उत्तर प्रदेश में माननीय उच्च न्यायालय की रोक लगी थी लाइसेंस पर दूसरी तरफ वकील साहब एक साथ हज़ारों मुसलमानों को लाइसेंस के फार्म फरमाएंगे।
इससे लाइसेंस तो मिलेगा नहीं पनपेगी नफरत कहा जाएगा मुसलमान सेना बना रहे हैं बाकी आप समझदार हैं मुझसे अहमक की बात क्यों सुनेगे फिर भी बताया आपको यूंही वैसे आप बाढ़ के मज़े लीजिए,जबतक साक्षी वाला मामला भी सुलझ जायेगा।
यूनुस मोहानी
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