आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया उन कर्जदारों को राहत दे सकती है जिनके कर्ज नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) बन चुके हैं. दरअसल, आरबीआई एनपीए के मामलों के समाधान के नियमों में संशोधन करने की तैयारी में है.
सूत्रों के मुताबिक आरबीआई इसके तहत कर्जदारों को कर्ज भुगतान के लिए 60 दिन का अतिरिक्त समय दे सकता है ताकि ईमानदार कर्जदारों की तकलीफ कुछ कम हो सके. सूत्र ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिजर्व बैंक के 12 फरवरी 2018 के सर्कुलर को रद्द किए जाने के कारण संशोधित नियमों पर काम चल रहा है और जल्द ही ये जारी कर दिए जाएंगे.
सूत्र के मुताबिक एनपीए की नयी रूपरेखा के तहत विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. इनमें कर्जदारों को मौजूदा 90 दिन की समयसीमा के साथ 30 से 60 दिन का अतिरिक्त समय देने का विकल्प भी शामिल है. उन्होंने कहा कि 90 दिन की अवधि के बाद फंसे कर्ज को एनपीए करार दिये जाने की व्यवस्था बनी रहेगी लेकिन रिजर्व बैंक निकायों को कर्ज का भुगतान करने के अन्य विकल्प देने पर गौर कर रहा है.
बैंकों का कर्ज कारोबार 14.19 फीसदी
इस बीच नये वित्त वर्ष के पहले शुरुआती 15 दिन में बैंकों द्वारा दिए गए कर्ज की राशि एक साल पहले की तुलना में 14.19 फीसदी बढ़कर 96.45 लाख करोड़ रुपये और बैंकों में जमा राशि 10.60 फीसदी बढ़कर 125.30 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है. यह जानकारी आरबीआई की ओर से दी गई है. यह लगातार दूसरा वित्त वर्ष रहा जब बैंकों का कर्ज 10 फीसदी से अधिक की दर से बढ़ा है.
इससे पहले 2016-17 के दौरान बैंकों का कर्ज 4.54 फीसदी गिरकर 78.41 लाख करोड़ रुपये रहा था.यह 1963 के बाद कर्ज में पहली बार इतनी गिरावट थी. बता दें कि पिछले वित्त वर्ष के पहले 15 दिन में जमा राशि 113.29 लाख करोड़ रुपये और बकाया कर्ज 84.46 लाख करोड़ रुपये पर था.