देश में बड़े दिनों बाद एक सच्ची खबर अख़बार में छपी और उसपर भी बेवजह बवाल शुरू हो गया आखिर क्या गलत कहा गया अगर आंदोलन में बैठी महिलाओं को पेड कहा गया तो क्या है ? आखिर देश में अब तक यही होता आया है जितनी पैसों की व्यवस्था उतनी बड़ी रैली अब आप प्रधानमंत्री जी की रैली को मेरी इस बात से जोड़ कर मत देखने बैठ जाइए कि जैसा खबरों में आता है कि 3 लाख लोग मोदी जी को सुनने के लिए जमा हुए कहीं 5 लाख जमा हुए अगर इसमें भी यही वाला फार्मूला इस्तेमाल होता है तो फिर और सवाल होंगे कि यह इतना सारा पैसा कहां से आता है?
कुछ लोग तो इतने बड़बोले होते हैं कह देते हैं देश बेचने का कमीशन बहुत मिलता है यह सब उसी से होता है लेकिन मै यह बात नहीं मानता आखिर प्रधानमंत्री के इतने भक्त हैं तो उन्हें पैसे से भीड़ जुटाने की क्या ज़रूरत है न ,लेकिन यह न्यूज वाले अक्सर बताते है कि रैली में पैसे बांटे गए शायद यह भी बदनाम करने की साज़िश होगी।

अब ज़रा सोचिए शाहीन बाग में इतनी बड़ी संख्या में लोग मौजूद हैं वहां देश विदेश का मीडिया भी है सुरक्षा एजेंसियों के लोग भी मौजूद हैं यह पैसा किस वक़्त बंट रहा है यह पता नहीं चल पाता और कौन बांट रहा है यह भी क्योंकि इतनी बड़ी रकम रोज़ बंट रही है वह भी तब जब दिल्ली में चुनाव आचार संहिता लागू है सुना है इस समय इतनी बड़ी रकम का बांटना बड़ा रिस्की काम है , अब यहां सीधे तौर पर सुरक्षा तंत्र की नाकामी जगजाहिर हो रही है कि जिस बात को एक खुद को पत्रकार बताने वाले ने ढूंढ लिया उसे यह नहीं पकड़ पाए?
दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस का निकम्मापन भी ज़ाहिर होता है कि को मिनटों में अपराधी पकड़ना तो आम बात है अपराधी बना कर पकड़ लेती है यह कमाल रखती है वह भी इस पूरे गोरखधंधे को नहीं समझ पाई, वैसे चुनाव आयोग शायद बीजेपी से रूठा हुआ है और वह विपक्ष का साथ दे रहा है तभी पुलिस को सख्ती की हिदायत नहीं दे रहा कि इतनी बड़े पैमाने पर खरीद फरोख्त हो रही है और पुलिस तमाशा देख रही है।
वैसे देश में सभी दिहाड़ी मजदूर ही हैं ,जब देश ही मजदूरों का किसानों का है बोलिए क्या मैं गलत कह रहा हूं, दिहाड़ी से एक बात याद अाई कि कुछ लोग मजदूरी देश तोड़ने की लेते हैं ,कोई सत्ताधारी दल की आईटी सेल के चीफ हैं उन्हें महारत हासिल है किसी भी बात को फैलाने में और उसके लिए भी वह दिहाड़ी देते हैं,ऐसा सुनते अाए हैं ,एक साहब कह रहे थे कि जनाब दिहाड़ी इस बात की मिलती है कि अफवाहें फैलाओ,यहां तक कि धर्म का मज़ाक बनाओ कभी राम को भला बुरा अब्दुल बनकर कहो तो कभी इस्लाम पर कीचड़ विजय बनकर उछालो,अब दिहाड़ी मिलती है तो काम करना ही पड़ेगा फिर देश में बेरोजगारी बहुत है,अब इस बात में दम कितना है मैं नहीं जानता मगर सुना यही जा रहा है।
वैसे यह देश दिहाड़ी पर है जिसकी अदायगी अभी तक प्रधानमंत्री ने नहीं की है हर मजदूर का 15 -15 लाख पहले ही बकाया है शायद अब उसकी वसूली के लिए ही देश सड़क पर आ गया है लिहाज़ा खबर पक्की है आंदोलन में सब दिहाड़ी पर ही हैं अब जल्दी से मजदूरी अदा कीजिए .

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