सतयुग का रावण शर्मिंदा है ।
रावण जो बाहुबली था,जिसने सीता का हरण किया , जिसके हट और अहम को समाप्त करने के लिए स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने युद्ध किया ,आज वह बहुत शर्मिंदा है।कहीं दूर नरक के किसी कोने में मुंह छिपाए बैठा है कि आखिर मै ही क्यों बदनाम हूं ,मुझे ही क्यों बुराई का प्रतीक कहा जाता है?
आखिर यह कलयुग के रामराज्य में रहने वाले हर विजयदशमी को मेरा पुतला क्यों फूंक रहे हैं ? यह रावण के सवाल हैं कलयुग के कथित रामभक्तों से ज़रा सोचिए तो सही कहां कोई गलत सवाल पूछा है उसने ,सही तो है उसकी आपत्ति आप बताइए आप तो बहुत ज्ञानी हैं ,हर समय धर्म पर शास्त्रार्थ करने को तैयार रहते हैं ,धार्मिक इतने कि खाना कौन लाया है उसमें भी धर्म देखते हैं ,जबकि पुरानी कहावत है “भूख न जाने झूठा भात” लेकिन फिर भी आपको धर्म की चिंता रहती है।

ज़रा बताइए तो सही क्या माता सीता को जब रावण छल से अपहरण कर ले गया तो क्या उसने कोई दुर्व्यवहार किया माता सीता के साथ ? ईमानदारी से जवाब दीजिएगा, धैर्य रखियेगा मेरे सवालों में मेरा मजहब मत खोजने लग जाइएगा ,क्योंकि आप आजकल हर जगह धर्म जो तलाश रहे हैं सवारी का धर्म क्या है ? ड्राईवर का धर्म क्या है? खाना लाने वाले का धर्म,खाना बनाने वाले का धर्म,सिर्फ धर्म ही नहीं आप तो जातियां भी देखते हैं दलित है तो मंदिर में नहीं जायेगा,आदिवासी है तो परीक्षा पास करने के बाद भी जंगली कह कर उसे आत्महत्या करने पर मजबूर किया जायेगा,तो जवाब दीजिए।
मुझे मालूम है जवाब यही होगा कि माता सीता को रावण ने मां की ही दृष्टि से देखा यानी वह विधायक सेंगर से अधिक संस्कारी था,एक महिला जो उसके कब्जे में थी तो एक असुर अधर्मी राक्षस उसकी अस्मिता पर आंच नहीं आने देता, दूसरी तरफ संस्कार वाले धर्म के ठेकेदार है ,कलयुग के रहनुमा ज़रा किरदार देखिए विधायक जी हैं जो बलात्कार करते हैं जब शिकायत होती है तो पूरा परिवार मरवा देते हैं ,संस्कारो में डूबे लोग राम के नाम पर सत्ता साधने वाले ख़ामोशी से समर्थन करते हैं ।
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सिर्फ यही नहीं यह तो वह मामला है जो प्रकाश में आ गया ऐसे न जाने कितने मामले है जिसमें सिसकियों की आवाज़ बंद कमरों में दफन हो गई और पीड़ितों की सदा परमेश्वर के सिवा किसी ने नहीं सुनी ,कहीं दुधमुंही बच्ची दरिंदों की हवस की शिकार हुए तो कहीं बूढ़ी मां को ही जानवरों ने नोच डाला।
मैं आपको किस किस का नाम बताऊं ,किस घटना पर बात करूं ,जिधर देखिए उधर ही भेड़िए नज़र आ जायेंगे ,मगर खबरदार जो मुंह खोला आप भी किसी ट्रक के नीचे आ जायेंगे इस बात का ख्याल रखिए।
रावण ने सीधे श्री राम से युद्ध किया ,यहां कलयुगी कथित रामभक्तों को देखिए राम का नाम लेकर बेगुनाहों को मार रहे हैं ,कहीं कोई दानिश अगर श्री राम का जयकारा नहीं लगाता तो उसे आग के हवाले कर दिया जाता है, कोई दलित मंदिर का रुख करता है और खुद को शिव की भक्ति में लीन करना चाहता है तो धर्म के ठेकेदार उसकी खाल उधेड़ देते हैं ,।
ज़रा सोचिए तो सही आंखे तो खोलिये ,देश का खजाना लूटने वाले विदेशों में सैर कर रहे हैं ,स्वयं को नेता कहने वाले बाथरूम में महिला नेता के साथ नहा रहे हैं ,तो क्यों न रावण शर्मिंदा हो?

स्कूल बनाने वाले किताब चोरी के मुक़दमे में फंसा दिए जा रहे हैं ,लोगों को कुछ पल सुकून के देकर काफी पिलाने वाले लालफ़ीताशाही से तंग आकर खुदकुशी कर रहे हैं ,और जनता का धन लूटने वाले मौज में हैं।
आज़म ख़ान का समर्थन नहीं है लेकिन उनकी बनाई संस्था का समर्थन ज़रूर है,आखिर ऐसा क्या हो गया कि प्रदेश में सारी समस्या जौहर विश्विद्यालय से ही हो रही है पुलिस लगातार वहीं छानबीन कर रही है ,इसीलिए शायद उसे नंबर प्लेट पर ग्रीस पोत कर दौड़ता खूनी ट्रक नहीं दिखाई दिया,या फिर कलयुग का यह मायावी जाल था कि किसी को कुछ दिखाई नहीं दिया।
रावण असुर था ,अहंकारी था, हठी था मगर उसकी लंका सोने की थी और उसे बेचना उसे गवारा नहीं था,लेकिन कलयुग के रामभक्तों को देखिए सब बेचने पर तुले हैं ,खरीद और बिक्री पर याद आया कि अब तो आजादी के जश्न पर तिरंगा भी किराए के लाल किले पर फाहराया जायेगा आप और हम सब साक्षी बनेंगे इस पल के जनाब।

बलात्कार पीड़िता की सुध जब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ली तो पता चला कि मुख्य न्यायाधीश को लिखी गई चिट्ठी उन तक पहुंचने ही नहीं दी जाती है कलयुग में न्याय के मंदिर में ऐसे भी लोग होते हैं जानकर हैरानी तो कुछ भी नहीं हुई क्योंकि ईश्वर की उपासना का तरीका बताना जिनका काम है उनके भी कारनामे हमने देखें हैं तिलक से टोपी तक पगड़ी से कैप सब इसमें महारथी निकले हैं , एक से बढ़कर एक, महिला तो इनके लिए उपभोग का साधन मात्र है ,भला हो स्मार्ट फोन का जो हर दिन एक नया कारनामा लोगों के बीच लाता है।
रिश्तों को कलंकित करते यह चेहरे अब डराने लगे हैं यूंही तो रावण स्वयं को इनसे कमतर नहीं समझने लगा ,उसने देख लिया कि उसने तो सिर्फ श्री राम से युद्ध मात्र किया यहां तो राम की शिक्षा से ही जंग छिड़ी हुई है और वह भी उन्हीं के नाम की माला लेकर,।
रावण अगर आज होता तो संत कहलाता क्योंकि उसके कारनामे कमसे कम घिनौने तो नहीं थे ,आज बच्चे विधायक या सांसद को बलात्कारी,बाहुबली,अपराधी या ऐसा ही कुछ स्वयं समझ रहे हैं आखिर टीवी पर हर समय धर्मयुद्ध जो दिखाया जाता है।
अब जब इस बार विजय दशमी आय तो सोचिए ज़रूर आखिर रावण क्यों जलाते हैं ?

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