आपने सुना होगा पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया इसकी अभूतपूर्व विफलता , बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ की दुर्गति के बाद एक सफल नारे के साथ शायद सत्ताधारी सामने है ,नया नारा बहुत आसान है अब मरेगा इंडिया क्योंकि अगर आप आइडिया ऑफ इंडिया की बात करेंगे तो मरेगा इंडिया,सुनिए अगर आपने हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई भाईचारे की बात की तो मरेगा इंडिया।
सरकारी फरमान ज़बान से नहीं बंदूक की नाल से निकला है ,शुरुवात आसाम में हुई एक कोने पर और शोर दिल्ली में मचा कि अब कोई संविधान की बात न करे वरना हमारी पुलिस बहुत ताकतवर है ,यह और बात है कि अदालत के बाहर अगर कुछ होता है तो दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर आंसू बहाती है, मगर उसकी ताकत बहुत है ,अगर वह चाहे तो भारत के भविष्य को गोली मार सकती है।

आपने तो सुना होगा आप विद्वान लोग हैं किसी ने कहा था “इंकलाब बंदूक की नाल से निकलता है, पुलिस इस बात को बखूबी जानती है,और उसने बता दिया है कि तुम सिर्फ चिल्ला सकते हो हम मार देते हैं,देश के चुनिंदा संस्थान जल रहे हैं पुलिसिया ज़ुल्म का शिकार देश का युवा हो रहा है और झारखंड में चुनाव हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे रहे हैं बिना एक दिन भी छुट्टी पर गए लगातार काम कर रहे हैं,देश के भविष्य को और निखारने के उद्देश्य से ,हर जगह अपनी पार्टी की सरकार लाने के लिए उनकी इस मेहनत को सलाम करिये आखिर इतनी रैलियां करना आसान नहीं है।
उनके इस त्याग और कर्मठता को आप सलाम कीजिए इतनी मेहनत सिर्फ देश के लिए ,दिन दिन भर चुनावी सभा रात में पूंजीपतियों की समस्याओं पर मंथन, भला कोई इतना काम कैसे कर सकता है।

वैसे बात पुलिस की हो रही थी तो हैदराबाद में खूब फूल बरसे अब दिल्ली की बारी है ,आइए टोकरियां उठा का उंडेल दीजिए इन्होंने नौनिहाल मारे हैं ,आइए इनका स्वागत कीजिए यह निर्भया को नहीं बचा सके मगर बिना वर्दी के लड़कियों पर लाठी खूब चलाई है,इनको मालाओं से लादिये ,सम्मान समारोह का आयोजन कीजिए आखिर इन्होंने सत्ता बचाने में सहयोग किया है।

सिर्फ इतना ही नहीं आपको एक और काम भी करना है सोशल मीडिया के जरिए ,वह यह कि अभी से शुरू हो जाईए भारतीय मीडिया के जरिए बताई गई खबर के अनुसार अपनी राय बनाने के लिए ,क्योंकि यही राष्ट्रभक्ति है अगर आप ऐसा नहीं करते तो आप गद्दार कहलायेंगे,आप देशभक्त बने रहिए खबरदार महंगाई,बेरोजगारी,आर्थिक मंदी गिरती हुई जी. डी.पी.इसका ज़िक्र भी किया,और सुनिए बलात्कार अगर कोई बड़ा आदमी करे तो ख़ामोश रहने की आदत डाल लीजिए क्योंकि मीडिया बता देगा कि उन्हें साजिश के तहत फसाने की बात भी सामने आ रही है।
अगर आप देश में रहने वाले गरीब हैं तो सुनिए अभी आपको फ्री में सांस लेने की आजादी है यह कम नहीं है,वैसे भारत के गृहमंत्री जी को बधाई दीजिए कि शोर से उनकी नींद नहीं खुलती अभी भी दुनिया में लोगों को सुकून की नींद आती है तो इसका मतलब इमानदारी बची हुई है क्योंकि सुनते है ईमानदार और सच्चा आदमी आराम से सोता है,।
लोग बेवजह चिल्ला रहे हैं कि जामिया में ज़ुल्म हुआ अलीगढ में पुलिस ने गलत किया अरे खुद सोचिए जो काम इन बच्चो का नहीं है क्यों कर रहे हैं? इनको तो भारतीय मीडिया में भारत का विकास देखना चाहिए उसका चर्चा करना चाहिए ,विकास से भरपूर आई टी सेल से आने वाले ट्वीट ,वॉट्सएप,और फेसबुक पोस्ट को आगे बढ़ाना चाहिए मगर इन्हें क्या सूझी है कि संविधान बचाओ,भारत बचाओ, मोहब्बत बचाओ के नारे लगाए इसपर आंदोलन करें।
इसीलिए सरकार चाहती है कि इन सब विश्विद्यालयों को बंद कर जिओ यूनिवर्सिटी पूरे देश में खोली जाएं एक तरफ बेमकसद का खर्चा कम होगा सरकार का दूसरे तरफ अंबानी जी प्रसन्न हो जाएंगे तो देश के दूसरे संसाधन भी खरीद लेंगे,खैर बड़े लोग हैं कुछ भी खरीद सकते हैं ।

बहारों फूल बरसाओ पुलिस अाई है गाना बजाइए आज किसी और के बच्चे पिटे है ईश्वर न करे कल आपके बच्चे भी ही सकते क्योंकि हमेशा इनकी इच्छा से चलना तो मुमकिन नहीं है, तो फिर हमेशा सुरक्षित रहना भी नहीं है,इस बात को गांठ बांध लीजिए में किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ हूं मगर आप इस बात को भी याद रखें कि दिल्ली पुलिस अब गैलेन लेकर चलती है पानी भरा होता है उसमें ,दमकल विभाग का अब कोई काम नहीं बचा है 20 लीटर पानी का भरा हुए गैलेन जितनी आसानी से पुलिसकर्मी उठा कर दौड़ता है इससे भारत की ताकत का अंदाज़ा होता है।
हिंसा आंदोलन की दिशा बदल देती है और साम्प्रदायिकता का रंग भी दे सकती है यह बात खबरिया चैनलों को खूब पता है यही वजह है कि एक कार जिसके शीशे पथराव में फसने कि वजह टूट गए लगातार दिखाई गई क्योंकि उसके बोनट पर स्वास्तिक का चिन्ह बना हुआ है आगे की कहानी आप खुद जानते हैं।आखिर मुबारकबाद दीजिए खबरिया चैनलों को नम्बर वन बनने पर।
देश की राजधानी में पुलिस मुख्यालय पर एक मां रात के 12 बजे आकर कहती है कि हमारे बच्चो को मत मारो अगर मारना है तो हमें यहीं मार दो,उसका यह कथन कलेजा मुंह को ला देता है,यह नए भारत की तस्वीर है उसी भारत की पुलिस से यह गुहार है जो 16 दिसम्बर को ही निर्भया की इज्जत और जान दोनों नहीं बचा पाई थी,यह उसी पुलिस की शौर्य गाथा है जिसकी निगरानी में देश की बेटियां खुद को सुरक्षित नहीं पाती, एक भाई अपने छोटे भाई से कहने को मजबूर होता है कि पहले बड़े मरेंगे ,हमें यहीं मार दो और यहीं दफना भी दो ,ज़रा सोचिए क्या यह गांधी का देश है?
रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाकुल्लाह खान की शहादत से आजाद होने वाले मुल्क का यह हाल है अंग्रेजों ने तो उन्हें फांसी दी थी नफरत के सौदागर उनके विचार को सूली पर टांगने को तैयार है अब फैसला आपको करना है कि क्या यही है न्यू इन्डिया? क्या यही है आइडिया ऑफ इंडिया? क्या यह सब भारत के लोग नहीं है? या फिर आप मान चुके हैं कि नारा पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया से आगे बढ़कर मरेगा इंडिया पर पहुंच गया है।
विचार आपको करना है बच्चे आपके भी हैं। हालांकि हमसब की ज़िम्मेदारी है कि हिंसा को हर कीमत पर रोके सरकारी संपत्ति का नुक़सान हमारा नुक़सान है अगर कोई भी ऐसा करता है तो उसका विरोध कीजिए क्योंकि लोग इस तरह देश की आवाज़ को विघटित करना चाहते हैं।हम किसी भी तरह की हिंसा का विरोध करते हैं ।
जय हिन्द।।
यूनुस मोहानी
younusmohani@gmail.com
8299687452,9305829207

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