सवाल है कि सड़क पर न उतरे तो क्या करें ?

जी हां आपने मुझे सड़क पर न उतरने वाले मशवरे पर खूब दुआओं से नवाजा क्योंकि मैंने आपकी हर बात को दुआ ही माना और सबने एक ही बात कही बुजदिली मत दिखाओ अगर यह न करे तो क्या करें ? सवाल जायज़ है कि आखिर कुछ तो करना है अपने बचाव में नफरत किस क़दर बढ़ रही है कुछ तो करना पड़ेगा।
जी हां मैं भी यही कह रहा हूं कि बिल्कुल हमें कुछ ज़रूर करना है मगर इसके लिए पता हो कि क्या करना है और कैसे करना है ,पूरे मुल्क के 80 से ज़्यादा शहरों में प्रदर्शन हुआ लेकिन क्या इसमें से किसी को भी नोटिस किया गया क्योंकि आप कुछ सौ लोग इकठ्ठे हुए और आपने अपना हथियार खराब किया धरना प्रदर्शन आपका लोकतांत्रिक हथियार ही है आपन देखा होगा कुछ चेहरे फोटो की ललक में कैसे आते हैं और पोस्टर लेकर या मोमबत्ती जलाकर फोटो खिंचवाते है और हो गया प्रदर्शन, आप बताइए न कोई मेमोरेंडम , न कोई रणनीति बस प्रदर्शन हो गया।
अब देखिए इससे हुआ क्या नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद के नारे लगाए आपने आखिर किसका एजेंडा कामयाब हुआ सोचिए,, आपको जो करना था आपने किया नहीं आपको करना चाहिए, सबसे पहले अल्लाह के रसूल के बताए हुए इस्लाम के इकोनोमिक सिस्टम से भ्रष्टाचार को हटाना चाहिए ,हमे वापिस मस्जिदों का रुख करना चाहिए, हर वक़्त की नमाज़ में पूरी कौम एकजुट होकर मस्जिद में जमा हो ,आपस में एक दूसरे का सुख दुख जाने और हालात पर मशवरा करें ,कानून का सहारा लेना चाहिए ,मुल्क के गृहमंत्री ,प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति से गुहार लगानी चाहिए ,राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखना चाहिए,राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को लिखना चाहिए ,कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए ,और अगर तब कुछ न हों तो फिर बाकायदा अपने लिए अपने हमवतन भाइयों को तैयार करना चाहिए ताकि वह आपके साथ खड़े हों और पहले मस्जिदों के बाहर प्रदर्शन करना चाहिए पूरे मुल्क में एक साथ लेकिन उससे पहले प्रशासन को सूचना दी जानी चाहिए ,यह प्रदर्शन बिल्कुल शांत हो इसमें किसी तरह की कोई नारे बाज़ी नहीं होनी चाहिए ।
बिल्कुल ठीक समय पर शुरू होकर एक दिए गए समय पर इसे खतम किया जाना चाहिए इससे होगा यह कि आपको अपने जज्बात पर काबू रख कर प्रदर्शन करने का सलीका आयेगा मस्जिद के बाहर यह प्रदर्शन होगा तो किसी प्रकार की अशांति फैलने का खतरा कम होगा लगातार यह 7 दिन तक किया जाए क्योंकि मस्जिद में तो सब आ ही रहे हैं लिहाज़ा किसी को बुलाने की कोई ज़रूरत नहीं है सब आ रहे हैं किसी को अलग से वक़्त नहीं निकालना है और सिर्फ 10 मिनट का यह लगातार चलने वाला प्रदर्शन आपको बहुत कुछ सिखा भी देगा,आपको प्रदर्शन करना है तो ठान लीजिए कि हर मस्जिद में नमाज़ पढ़ने वाले रोज़ प्रदर्शन के तौर पर 50 पेड़ लगाएंगे यह सिलसिला रूकना नहीं चाहिए ।
आपके इस काम से जहां आप ज़मीन को हरा भरा करेंगे वहीं दूसरी तरफ आपके हमवतन भाई भी आपके साथ इस मुहिम को मोहब्बत के साथ बढ़ाएंगे ,नफरत हारेगी और लोग करीब आएंगे।
मस्जिद में नमाज़ के बाद आपस में बैठकर बात करें और ऐसा कहने वालों को नकार दें जो झूट फैलाते हैं कि मस्जिद में दुनियावी बाते न की जाएं क्योंकि जो बात बाहर करना मना है मस्जिद में भी मना है लिहाज़ा आपस में बात करें और अगर कोई गैर मजहब का आदमी परेशानी में हो तो सब मिलकर उसकी मदद करें ,बीमार हो तो इलाज करवाएं ,भूका हो तो खाने का इंतजाम करे यानी कुल मिलाकर अल्लाह के रसूल की सुन्नत पर अमल करें ।

यहां आपके पास इस वक़्त की खूबसूरत मिसाल डॉक्टर कफील खान का एहतिजाज है,एक शकस जिसे जेल में जाना पड़ा ,जिसका निलंबन हुआ जिसके भाई को गोली मारी गई उसने नफरत की राह नहीं पकड़ी उसने ज़िंदाबाद मुर्दाबाद को अपना हथियार नहीं बनाया, बल्कि उसने कहा मै गरीबों की ज़िंदगी बचाऊंगा, जहां सरकारें नाकामयाब होंगी मैं वहां काम करूंगा, जिन लोगो के पास दो वक़्त की रोटी भी नहीं है मै उन्हें दवा दूंगा खाना पहुंचाने का काम करूंगा।
आप सब इस डॉक्टर की तारीफ कर रहे हैं हमें इनसे सीखना है क्योंकि इस्लाम ने हमें यही तो सिखाया है कि पहले अपने चरित्र की गवाही दुश्मन से लो ताकि वह भोले भाले लोगों को अपने लिए तुम्हारे खिलाफ हथियार न बना सके ,ज़रा सोचिए जिसके बच्चे को चमकी बुखार से निकाल लाया होगा यह डॉक्टर क्या वह उसके लिए नहीं खड़ा होगा।
आइए हम सब मेहनत करे और मस्जिद से इसकी शुरवात करें हमें अपनी शिनाख्त बतानी होगी , कि हम मोहब्बत वाले लोग हैं किसी कीमत पर नफरत को जीतने नहीं देंगे।

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