कौन है सेफ़ जब ज़ख़्मी हो गये सैफ़???

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[/सैफ़ अली ख़ान ]

आज यह सवाल बड़ा ट्रेंड में है लेकिन मुझे इस सवाल से घोर आपत्ति है और मैं इस सवाल को सिरे से ख़ारिज करता हूँ !मेरी समझ में यह कोई सवाल ही नहीं बनता क्योंकि सैफ़ पर हमला कोई चीन की घुसपैठ नहीं है और न ही सीमा पार से की गई कोई आतंकी घटना जिसपर इतनी हाय वैला मचायी जाये और जिस पर इतनी चर्चा की जाये ।
सैफ अली ख़ान नवाब पटौदी के वंशज हैं लेकिन अब भारत में लोकतंत्र है तो कोई नवाब या कोई राजा महाराजा नहीं है आप कह सकते हैं यह आप कैसे कह सकते हैं तो मैं आपकी बात को खारिज किए बिना कहूँगा कि आपकी बात में काफ़ी हद तक सच का अंश है क्योंकि अभी कई रियासतों के राजा हैं उनकी रियासतें और महल मौजूद हैं अभी भी राज्याभिषेक हो रहे हैं तो इसे ऐसे समझें यह भारत के विरले लोकतंत्र की वह तस्वीर है जिसमे गरीब इस व्यवस्था का शिकार है और अमीर इसका भोगी ।

[caption id="attachment_7262" align="alignnone" width="300"] Screenshot

आप सिर्फ पुराने राजे महाराजे लेकर बैठे हैं यहाँ वापिस से ईस्ट इंडिया कंपनी का साम्राज्य स्थापित हो रहा है यह बात और है कि इस ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्ता धर्ता काले अंग्रेज हैं आप इशारा समझ गए होंगे और नहीं समझे तो रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट का एक चक्कर लगा आइए आप बिना कहीं जाए जब अपनी जेब ढीली कर आयेंगे तो इस साम्राज्य का अंदाज़ा हो जायेगा ।
खैर जाने दीजिए हम विषय से भटक गये हमारा विषय तो सुरक्षा है जिसकी चर्चा खबरिया चैनल सैफ अली ख़ान यानी तैमूर के अब्बा हुज़ूर पर हुए हमले के बाद से लगातार कर रहे हैं जैसे यही राष्ट्रीय मुद्दा है ।

[/सैफ़ अली ख़ान अपने बेटे तैमूर और पत्नी करीना के साथ ]

सोशल मीडिया पर चर्चा के अलग अलग आयाम है कहीं कवि कहलाने वाले प्रचारक और पार्ट टाइम कथा वाचक कुमार विश्वास को लेकर गालियों का आदान प्रदान हो रहा है तो कहीं सैफ अली ख़ान की बहादुरी के किस्से हैं उसी बहादुरी के जिसमे उन्हें पीट पर ज़ख़्म आये ।

सैफ़ पर हमले का संदिग्ध आरोपी

सैफ अली ख़ान एक मज़बूत क़द काठी के आदमी दिखते हैं अच्छा खाना, कसरत सेहत का ख्याल यह सब उनकी ज़िंदगी है ऐसे में एक मरिहल सा चोर जो चेहरे से भूखा कुपोषित मालूम होता है उनसे हाथापाई के दौरान उन्हें ज़ख़्मी करके भाग जाता है सैफ़ उसे पकड़ नहीं पाते हैं और इतना ही नहीं चोर की आस्तीन में ख़ून के दाग़ भी नहीं आते कितनी सफ़ाई से हमला करता है ?

[/सैफ़ अली ख़ान प्रधानमंत्री के साथ ]

अभी सैफ और पूरा कपूर खानदान देश के प्रधान सेवक से मिल कर आया है यह मुलाकात क्यों हुई ? इसके पीछे क्या कारण था ? आखिर भारत के प्रधानमंत्री ने अपने व्यस्ततम् समय में से अपना बहुमूल्य समय निकालकर इस परिवार से गप क्यों लड़ाई ?हालाँकि इस बात पर यह भी कहा जा सकता है कि क्या अब देश के प्रधान सेवक को किसी हीरो हेरोइन से मिलने की भी आज़ादी नहीं है ?

[/कुमार विश्वास ]

हालांकि यह सवाल तब मौज़ू हो जाता है जब प्रधानमंत्री लंबे समय से अनशन पर बैठे किसान नेता से मिलने का समय नहीं निकाल पाते, देश के प्रधान सेवक मणिपुर के हालात जानने के लिए समय नहीं दे पाते ऐसे समय में यह मुलाकात समझ से परे दिखती है ?
यहाँ एक बात और समझने योग्य है कि राजपाट चलाना कोई आसान नहीं होता जब प्रधानमंत्री मिले हैं तो ज़रूर कोई देश के हित का मामला होगा इसलिए मैं उनकी मुलाक़ात और इसके पीछे छिपे कारण पर कोई शक नहीं कर रहा हूँ आप भी मत करिए क्योंकि भरोसा रखिए अपने नेतृत्व पर वरना समाज में नकारात्मकता का प्रभाव घातक हो जायेगा ।
वैसे जो लोग सवाल कर रहे हैं कि सैफ नहीं सेफ तो कौन तो उनके लिए जवाब है अगर सब सेफ होते तो देश के मुखिया हों या प्रदेशों के मुखिया उन्हें इतना बड़ा लाव लश्कर लेकर नहीं चलना पड़ता ? उनके काफिले के लिये आम लोगों के लिए घंटों रास्ता नहीं बंद कर दिया जाता और सैकड़ो हज़ारों सुरक्षा कर्मियों का घेरा नहीं होता और यह सब तब है जब देश और प्रदेश के मुखिया लोग हृदय सम्राट हैं और यह मैं किसी एक दल के विरोध या समर्थन में नहीं कह रहा हूँ यह हाल सभी का है हद तो यह है कि पुलिस के मुखिया ख़ुद सुरक्षा में ही घर में रहते और बाहर निकलते हैं तो ऐसे में सैफ़ अली ख़ान पर हमला होना कौन सी बड़ी बात है ?

हाँ लेकिन यहाँ एक सवाल बड़ा ज़रूर है और वह यह है कि खबरिया चैनल हो या राजनेता सब इस मामले को लेकर इतने चिंतित हैं यह बड़ी बात है और यह उस देश का हाल है जहाँ हर 51 मिनट में एक रेप हो जाता हैं और प्रतिदिन 82 हत्या हो जाती है यह मैं नहीं कह रहा हूँ यह रिकॉर्ड एनसीआरबी का है यह और बात है यह मरने वाले लोग या रेप का शिकार हीने वाली महिला अधिकतर गरीब भारतीय होते हैं तो यह कभी चर्चा का विषय नहीं बनते जब तक राजनैतिक ज़रूरत न हो !
दरअसल ग़रीब की लाश भी वोट की राजनीत में बड़ा महत्त्व रखती है लिहाज़ा जब ज़रूरत होती है इससे राजनीत चमका ली जाती है वरना ग़रीब का जन्म सिर्फ़ मरने के लिए हुआ है और उसकी मौत से किसी को कोई सरोकार नहीं है तभी जब कोरोना आता है तो उसे मरने के लिए सड़कों पर छोड़ दिया जाता है और फिर आपदा को अवसर बना कर उसे वैक्सीन लगवा दी जाती है जिसके दुष्परिणामों पर अब रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं लेकिन किसी को क्या फ़र्क़ पड़ता है झेलना तो ग़रीब को है ।
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आते हैं सैफ़ पर हमले पर कि आख़िर ऐसा कौन सा पाइप है बिल्डिंग में जिससे यह चोर चढ़ा बिना कपड़े गंदे किए हमला किया बाहर गया बिना दिक्कत के और आराम से गिरफ़्त में आ गया ?
सैफ़ को उनका बेटा ऑटो में लेकर हॉस्पिटल गया और वह चल कर अस्पताल में डॉक्टर के पास गये यह भी सच है की सैफ लिफ्ट से उतरे होंगे फिर चलकर ही ऑटो में बैठे होंगे क्योंकि उनका बेटा उनको कांधे पर लाद कर तो नहीं ले गया यह ऑटो पर जाने वाले नवाब साहब है याद रखिएगा जिनके पास लंबी गाड़िया है ड्राइवर हैं और घर में सब गाड़ी चलाना जानते हैं चलिए मान लिया जाए घबराहट में ऐसा हीन स्वाभाविक है यह कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन पुलिस का कहना कि अभी सैफ बयान दर्ज करवाने के लायक़ नहीं हैं हास्यप्रद लगता है यह वही पुलिस कह रही थी जो बुरी तरह से ज़ख़्मी बलात्कार पीड़िता का बयान ऑक्सीज़न मास्क हटवा कर दर्ज करती है और डॉक्टर के मना करने के बावजूद आईसीयू में घुस कर ऐसा करने में शर्म नहीं करती उसके उसके पास इतना धैर्य ?
खैर बाक़ी रोज़ नए खुलासों का तमाशा आप खबरिया चैनलों पर देख ही रहे हैं और अगर समझना चाहते हैं तो समझ भी रहे हैं लेकिन जो नहीं समझ आ रहा है वह है अचानक सैफ के बच्चे के नाम पर कवि और प्रचारक साथ में पार्ट टाइम कथा वाचक कुमार विश्वास का बयान प्रधानमंत्री से कपूर परिवार, सैफ और उसके बच्चों से मुलाकात यह सब एक साथ कैसे ? क्या इनमें कोई रिश्ता है ? सैफ जब अभी किसी तरह की कंट्रोवर्सी में नहीं थे अचानक मेन स्ट्रीम में कैसे ?

[/पटौदी फ्लैग पैलेस भोपाल ]
वैसे भोपाल में सैफ के परिवार का पटौदी फ्लैग हाउस जिसकी कीमत लगभग 1000 करोड़ बताई जाती है हालांकि यह अभी विवादित है स्टेट और पटौदी फ़ैमिली के मध्य लेकिन इसके साथ ही हरियाणा के गुरुग्राम सहित विदिषा मध्य प्रदेश में भी संपत्तिया मौजूद हैं मैं इस विषय को सैफ़ पर हमले से नहीं जोड़ रहा हूँ बस आपकी जानकारी बढ़ाने के लिए ज़िक्र कर रहा हूँ कि नवाब साहब ग़रीब नहीं हैं ।
[/कुम्भ मेला ]
वैसे न्यू ईस्ट इंडिया कंपनी काले अंग्रेजों वाली देश की धरोहरों पर क़ाबिज़ होने का प्रयास कर रही है और करती जा रही है यह कोई छुपी हुई बात नहीं है जाने दीजिए इन बातों का लोड नहीं लेना चाहिए देखिए कितना भव्य कुम्भ मेला लगा है और देश का कितना डंका बज रहा है सैफ अली ख़ान की सेहत की दुआ है और क्या कहा जाये आप इस ख़बर पर नज़र जमाए रखिए यही सुकून से जीने की एक सूरत है !

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