24 नवंबर 2024 रविवार नई दिल्ली
आल इंडिया उलमा व मशाइख बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वर्ल्ड सूफी फोरम के चेयरमैन हजरत सय्यद मुहम्मद अशरफ किछौछवी ने लोगों से जोश से नहीं होश से काम लेने की अपील की है उनका यह बयान तब आया जब संभल में जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद में स्थिति बिगड़ गई और संभल में सांप्रदायिक तनाव का माहौल बन गया ।
विदित हो कि संभल जामा मस्जिद को लेकर हो रहे विवाद पर आज संभल में स्थिति उस समय बिगड़ गई जब ज़िला न्यायालय के आदेश पर सर्वे टीम हिंदू संगठनों के साथ नारे बाजी करते हुए मस्जिद की तरफ़ सर्वे के लिए बढ़ी जबकि बड़ी संख्या में लोग मस्जिद के पास जमा थे ऐसे में पुलिस द्वारा भीड़ कों हटाने के लिए लाठीचार्ज किया गया जिसके बाद पथराव हो गया और स्थिति ख़राब हो गई ।
हज़रत ने कहा कि लोगों को क़ानून का सहारा लेना चाहिए और किसी भी स्थिति में अमन को नुक़सान नहीं पहुँचाना चाहिए जामा मस्जिद कोई आज नई नहीं तामीर हुई है और यह सीधे तौर से उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के द्वारा संरक्षित है क्योंकि इस अधिनियम के अनुसार 15 अगस्त 1947 में जिस धर्म स्थल का जी स्वरूप था उसे बदला नहीं जा सकता और 11 जुलाई 1991 तक अगर कोई केस लंबित नहीं है तो किसी भी प्रकार का कोई वाद की गुंजाइश नहीं होगी तो ज़िला अदालत कैसे किसी भी तरह के सर्वे का आदेश पारित कर सकती है ? क्या संसद ने इस अधिनियम को समाप्त कर दिया है जो निचली अदालतें ऐसे मामलों में आदेश पारित कर रही हैं या फिर यह किसी तरह का नया प्रयोग है ?
संभल ज़िला अदालत का आदेश सीधे तौर पर उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम १९९१ का अतिक्रमण है हजरत ने कहा की संभल के लोगों को बहुत संयम से काम लेते हुए अपने अधिकारों की रक्षा कानून सम्मत तरीक़े से करनी होगी ,चरमपन्थियों के उकसावे में आकर उनके उद्देश्य को पूरा करने से बचना होगा ,क्योंकि यह मुट्ठी भर देश की शांति व्यवस्था के दुश्मन लोगों की भीड़ पूरे देश को सांप्रदायिक आग में झोकना चाहती है इसलिए इनके मकसद को कामयाब नहीं होने देना है ।
हजरत ने दोनों पक्षों के अमन पसंद लोगों का आह्वाहन करते हुए कहा कि सब आगे आयें और अपने इलाक़े को धार्मिक उन्माद की नई प्रयोगशाला न बनने दें ,वहीं हजरत ने इस मामले के राजनीतिकरण से बचने की बात भी कही उन्होंने कहा कि न्यायिक लड़ाई लड़ी जानी चाहिए क्योंकि सियासत मसलों को हल करने से ज़्यादा उन्हें उलझाने का काम कर रही है ,संभल जामा मस्जिद मामले में जिस तरह की जल्दबाज़ी दिखाई जा रही है वह हैरान करने वाली है इसलिए लोग समझदारी से काम लें और बड़ी अदालतों का रुख़ करें ।