आप इस सवाल से परेशान मत होइए आपको किसी के नाराज़ होने या खुश होने से फर्क पड़ना बहुत पहले ही बंद हो चुका है ,शायद ही आपको याद हो कि आपको कब किस बात से नाराज़ होना है किससे खुश होना है आपने सोचा हो, क्योंकि अब तो इसकी वजह आपको सुबह आंख खुलते ही वॉट्सएप से होने वाली आकाशवाणी या जिसे आप बिलकुल सत्य मानते हैं उस दिव्यवाणी से मिल जाती है।
अगर कभी आप चूक भी गए तो टीवी पर साक्षात दिव्य पुरुष या दिव्य नारी रूपी एंकर का दर्शन पा कर आपके ज्ञान चक्षु खुल जाते हैं ऐसे में फिर बुद्धि रूपी फालतू की चीज़ का प्रयोग तो निरी मूर्खता ही है तो फिर इसकी आवश्कता उसी तरह रह गई है जीवन में जैसे संसद में राहुल गांधी की?

खैर मैं भी किस बात को लेकर बैठ गया जिस बात से आपको फर्क पड़ना पहले ही बन्द हो चुका है मैं क्यों उस पर अपना समय बर्बाद कर रहा हूं वैसे ही जैसे अडानी पर सवाल पूछ कर विपक्ष संसद का कर रहा है?
देश में पहले भी त्योहार आते रहे हैं और लोग इसे मिलजुल कर मनाते रहे हैं लेकिन अब त्योहार कुछ बदलने लगे हैं बिल्कुल सत्ता की तरह यानी त्योहार में राजनीत का जो घालमेल हुआ है उसने उससे हर्ष उल्लास और पवित्रता का पुट निकाल दिया और खाली जगह पर राजनीत को भर दिया जिससे जो रूप बना उसने भारत को बदलने की ठान ली ।

वरना यही भारत की जमीन जिसपर अल्लामा इक़बाल ने बैठ कर राम को इमामे हिंद लिखा और तुलसीदास ने मस्जिद के सहन में बैठकर रामचरित मानस लिख डाली इतना ही नहीं शम्स मिनाई कह उठे कि “मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ,तुलसी ने वाल्मीक ने छोड़ा नहीं है कुछ ,,न जाने कितने भारतवासी अपनी अपनी ज़बान में राम को खिराज पेश कर चुके और आज भी कर रहे हैं ।
लेकिन आज राम नवमी के पर्व पर कथित राम भक्तों ने मैने जान बूझकर कथित शब्द का प्रयोग किया है क्योंकि मैं जिस राम को जानता हूं उसका भक्त अमर्यादित आचरण वाला कैसे होगा यह बात मेरे समझ से बाहर है खैर रामनवमी के पर्व पर जिस तरह के हंगामें हुए उसके बाद राम क्या बहुत खुश हुए होंगे ?
यह सवाल बड़ा है और बिल्कुल वैसे ही अनुत्तरित जैसे किसी का किसी से क्या रिश्ता है वाला सवाल आजकल पूरे देश में पूछा जा रहा है समझ तो गए होंगे आप मैं किस रिश्ते की बात कर रहा हूं अगर न समझें हों तो भारत के विपक्ष को भी सुन लिया कीजिए खैर यह दोनो सवाल एक तरह से और समान हैं और वो यह कि सवाल का जवाब देने को कोई तैयार नहीं और सवाल का जवाब सवाल ही बना हुआ है।

आज कुछ कथित रामभक्त बिल्कुल उसी तर्ज पर सूफी संतों की दरगाहों और मस्जिदों के बाहर हंगामा करते दिखाई दिए जैसे वह नोटिस थमाने आये हैं कि आपकी सदस्यता समाप्त हो गई है लिहाज़ा घर खाली कीजिए हालांकि दोनों मामलों में फर्क इतना है कि वहां अदालत ने एक फैसला जरूर सुनाया है यहां कोई फैसला नहीं है बस इच्छा भर है ।
सबसे अधिक सराहनीय कार्य तो पुलिस ने किया जिसने उस उन्मादी भीड़ को अपनी सभी ऊल जलूल हरकतें करने की छूट दी और अपनी निगरानी में उन्हें कानून से खेलने दिया ,लोकतंत्र में इस तरह का खेल हुआ और लोकतंत्र के चौकीदार ने नजर उठा कर भी नहीं देखा।
खैर जो घटनाएं भी हुई उसका चुनाव से क्या लेना देना भला कर्नाटक में इसका क्या असर ? लेकिन अब भला ओपिनियन पोल जो उल्टी सीधी तस्वीर पेश कर रहें हैं उसे बदलने के लिए दृश्य भी तो बदलना होगा तो देश के बेरोज़गार भला कहा काम आयेंगे वैसे भी उन्हें तो काम चाहिए चाहे कैसा भी हो तो शायद लगा दिए गए हों ? यह कोई प्रमाणिक बात नहीं है बस यूंही आशंका व्यक्त कर दी आखिर मैं भी अभिव्यक्ति की आज़ादी का थोड़ा सुख तो भोग ही सकता हूं।
वैसे देश में अगड़ा पिछड़ा ,दलित आदिवासी भी बहुत हो रहा है लेकिन राम तो इसके उलट हैं वो शबरी के झूठे बेर खाते हैं ,केवट को गले लगाते हैं किसी से किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करते तो आखिर यह नए भक्त किस राम के भक्त हैं? आखिर यह कौन लोग हैं जो डरपोक इतने हैं कि किसी के अस्तित्व मात्र से ही भयभीत हो जाते हैं ,भला कौन हैं यह जो अपने साए से खौफ खाते हैं और उस डर को हराने की नाकाम कोशिश में आग लगाते घूमते हैं?
मस्जिद या किसी दरगाह के बाहर खड़े होकर राम की जयकार से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन हां राम को जरूर बुरा लगता है मैं जिस राम की बात कर रहा हूं” रमंति इति रामः” यानी रोम रोम में बसने वाले यानी सम्पूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त राम की अब भला वह क्यों नाराज़ नहीं होगा क्योंकि मस्जिद भी ब्रह्मांड में हैं और दरगाह भी आगे की बात समझने की है लेकिन शांत चित्त होकर।
अब राम बहुत नाराज़ हैं किसी मस्जिद में बैठे किसी फसाद का शिकार हुए किसी प्रेमी के पास उसे हौसला दे रहे हैं क्योंकि आज राम का नाम लेने वालों ने राम के प्रेमी को दुखी कर दिया है,आज राम किसी दरगाह में किसी सूफी के साथ हैं उसके प्रेम से खुश हैं क्योंकि उसने मानवता की सेवा को अपना मंत्र बना लिया है, लेकिन राम बहुत नाराज़ हैं उन कथित राम भक्तों से जो धर्म के रक्षक बन कर उस सूफी की तपस्या भंग करने का विफल प्रयास कर रहे थे।
राम आज बहुत नाराज़ हैं सच कहूं राम नाराज़ हैं मानवता के दुश्मन से और उनको प्रश्रय देने वालों से आप बताइए क्या आप भी राम को नाराज करना चाहते हैं?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here