पश्चिम बंगाल के बोलपुर संसदीय क्षेत्र की गिनती महत्वपूर्ण सीटों में होती है. 2019 के चुनावों के 7 चरणों में से इस संसदीय सीट पर चौथे चरण को मतदान होना है. इस बार जो प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं उनमें अभ‍िजीत साहा (कांग्रेस), अस‍ीत कुमार (ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस), रामप्रसाद दास  (भारतीय जनता पार्टी), समीरन दास  (बहुजन समाज पार्टी),  रामचंद्र डोम  (कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया), बिजॉय कृष्ण(सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया) और सिमांता मंडल (राष्ट्रवादी जनता पार्टी) का नाम शामिल है.

2019 के चुनाव में यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है. क्योंकि बीजेपी यहां अपने को मजबूत कर चुकी है और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अनुपम हजारा  को पार्टी विरोध गतिविधियों के आरोप में ममता बनर्जी ने पार्टी से निकाल दिया था. इसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए.

2014 का जनादेश

2014 में यहां ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के अनुपम हजारा विजयी हुए, उन्होंने सीपीआई (एम) के रामचंद्र डोम को हराया. अनुपम हजारा को 630693 वोट मिले तो रामचंद्र को 394581 वोट. कम्युनिस्टों की यह सीट इस तरह ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के पास आ गई. कभी सोमनाथ चटर्जी यहां के सांसद हुआ करते थे. वह लगातार यहां से 5 बार जीते.  2014 के लोकसभा चुनाव में यहां 2014 में यहां 84.83 फीसदी और 2009 में यहां 82.49 फीसदी वोटिंग हुई थी. 2014 के चुनाव में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को 48.34 फीसदी, सीपीएम को 30.24 फीसदी, बीजेपी को 15.13 फीसदी और कांग्रेस को 3.6 फीसदी वोट मिले थे.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

यह सीट सीपीएम के सोमनाथ चटर्जी के नाम रही. वह यहां से लागातर 5 बार सांसद रहे. 1967 में यह सीट अस्तित्व में आई और इस साल कांग्रेस के एके चंदा सांसद चुने गए. 1971 में सीपीएम के सर्दिश रॉय ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली. 1971 से लेकर 1984 तक सर्दिश रॉय यहां से सांसद चुने जाते रहे. 1984 में जब पूरे देश में कांग्रेस की लहर चल रही थी तब भी सीपीएम ने यहां अपना झंडा बुलंद किए रखा. 1985 में यहां पर बाइपोल हुआ जिसमें सीपीएम से सोमनाथ चटर्जी की इंट्री हुई. 1985 से 2004 तक सोमनाथ चटर्जी यहां से लगातार जीत हासिल करते रहे. कांग्रेस यहां पर हमेशा दूसरे स्थान पर रहा करती थी. 2009 में इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया. 2009 के चुनाव में सीपीएम के रामचंद्र डोम ने यहां से विजय हासिल की. लेकिन 2014 के चुनाव में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के अनुपम हजारा से हार गए.

सामाजिक ताना-बाना

बोलपुर संसदीय क्षेत्र पश्चिम बंगाल के बर्धमान और बीरभूम जिले में आती है. यह संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.  2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल आबादी 2198890 है. इसमें से 92.5 फीसदी ग्रामीण आबादी है और 7.2 फीसदी शहरी. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का रेश्यो यहां 31.43 फीसदी और 7.02 फीसदी है. 2017 की मतदाता सूची के मुताबिक यहां मतदाताओं की संख्या 1637183 है. बंगाली, हिंदी और अंग्रेजी यहां की सामान्य भाषा है. यहां 60 फीसदी से ज्यादा आबादी हिंदुओं की है.

बोलपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 7 विधानसभा सीटें हैं. जिनमें केतुग्राम, मंगलकोट, आसग्राम, बोलपुर, ननूर, लभपुर और मयूरेश्वर हैं.

Bolpur Loksabha: विश्वभारती से है पहचान, सोमनाथ चटर्जी यहां से 5 बार रहे सांसद

बोलपुर संसदीय क्षेत्र बर्धमान और बीरभूम जिले में आता है, इसकी प्रसिद्धि का एक और आधार यह है कि इसी क्षेत्र में विश्व भारती विश्वविद्यालय है जिसकी स्थापना रबींद्र नाथ टैगोर ने की थी. यहीं पर भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की शिक्षा दीक्षा हुई थी. यह संसदीय क्षेत्र 1967 में अस्तित्व में आया. चुनाव आयोग की 2009 की रिपोर्ट के अनुसार इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया. बोलपुर से ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को विजय मिली है. कभी यह सीट कम्युनिस्टों का गढ़ हुआ करती थी लेकिन अब तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें हाशिए पर ला दिया है.

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