प्रधानमंत्री के पसमांदा मुसलमानों पर दिए गए बयान पर सीधा सवाल!!
28 जून ,बुधवार नई दिल्ली।
ऑल इण्डिया उलमा व मशाईख बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवम वर्ल्ड सूफी फोरम के चेयरमैन हज़रत सैय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने प्रधानमंत्री द्वारा एक घर में दो कानून वाले बयान पर कहा कि अगर बात एक देश और एक कानून की है तो क्या सिर्फ मुसलमानों के लिए इस मुल्क में कोई अलग कानून हैं? देश में अलग अलग धर्म समुदायों के लिए कई तरह के अलग कानून हैं तो फिर सिर्फ मुसलमानों को निशाना क्यों बनाया जा रहा है?
उन्होंने साफ तौर से कहा कि देश के प्रधानमंत्री सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं और जब उनके द्वारा एक देश में दो कानून कैसे होंगे यह बात की जाती है तब भी उन्हें मुसलमानों की तलाक और शादी ही याद आती है जिसका सीधा मतलब है कि यह एक देश एक कानून की बात नहीं हो रही है बल्कि सीधे सियासी जुमलेबाजी के बीच पर्सनल लॉ को रिपील करने का मसौदा लाने की बात है जोकि सही नहीं है।
जिस तरह प्रधानमंत्री ने मुसलमानों में छुआ छूत की बात की वह भी उस दिन जब पूरी दुनिया से आए हुए हाजी एक साथ मक्का शहर में अराफात के मैदान में जमा थे जहां कोई भेद भाव नहीं काले गोरे अमीर गरीब हर कबीले के लोग एक लिबास में एक साथ एक जगह जमा होकर अपने मालिक की इबादत कर रहे थे यह इस्लाम की खूबसूरती है ,हमारे यहां किसी तरह का भेदभाव नहीं लेकिन प्रधानमंत्री जी ने जिस तरह पसमांदा मुसलमानों की स्थिति पर अफसोस जताया है ऐसे में उन्हें इनके उत्थान के लिए फौरन संविधान के अनुच्छेद 341 पर लगे धर्म के आधार पर प्रतिबंध को हटा देना चाहिए ताकि पसमांदा मुस्लिम को भी हमारे दलित भाइयों की तरह आरक्षण मिले और वह भी तरक्की करें।
एक देश एक विधान का अर्थ यह है कि देश के सभी सिविल कानून सबके लिए एक जैसे कर दिए जाएं किसी को विशेष अधिकार प्राप्त न हों सबका आरक्षण या तो समाप्त कर दिया जाए या सबको दिया जाए दरअसल अभी देश को नागरिक समता की अधिक आवश्कता है समान नागरिक संहिता की नहीं। मुसलमानों को एक देश एक विधान से कोई आपत्ती नहीं है लेकिन इसे वास्तविकता के आधार पर लागू किया जाए फिर देश में हर राज्य हर समुदाय के लिए एक जैसे ही कानून होने चाहिए।

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