प्रधानमंत्री सदन में भाषण के दौरान सौजन्य से राज्यसभा टीवी

जी हां देश के लोकतंत्र का मंदिर हो और उसमें देश के संविधान की शपथ लेने वाला राष्ट्रभक्त प्रधानमंत्री और मंदिर खचाखच भरा हो प्रधानमंत्री झूठ बोल दें यह कैसे संभव है? लोग तरह तरह की बात बना रहे हैं कोई उनका परिश्रम नहीं देखता कोई उनकी लगन को सराहता नहीं बस आरोप लगाने को आतुर रहते हैं यह भी नहीं सोचते यह आरोप आप उनकी राष्ट्रभक्ति पर लगा रहे हैं ,उनके मंदिर के अनादर पर लगा रहे हैं या फिर उनकी संविधान में आस्था पर लगा रहे हैं। बताइए आपको इन आरोपों से कितनी पीड़ा होती है?

मैं एक बात तो पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि आपको किसी भी चीज से जितना दुख हुआ हो लेकिन प्रधानमंत्री के बराबर दुख आपको नहीं है आपने देखा ही होगा कैसी रुंधी हुई आवाज़ से उन्होंने बताया था कि मणिपुर की घटना से इनकी छाती फटी हुई है और आपने कल भी देखा होगा कि वह मात्र अपने दुख को छुपाने के लिए उस घटना का ज़िक्र भी नहीं करना चाह रहे थे ,जिन हंसी ठहाकों को यह विपक्ष उनकी निर्लज्जता कह रहा है दरअसल वह उनका खुद को संयमित रखने का प्रयास भर था ,एक प्रधानमंत्री जो देश की जनता और देश से प्यार करता हो भला कैसे चाहेगा कि उसे दुखी देखकर रोता बिलखता देखकर देश में आंसुओं का सैलाब आ जाए और देश इस दुख के तूफान में घिर जाए उनके इस प्रयास का मज़ाक उड़ाना भला कैसे न्याय हो सकता है?
सौजन्य से लोकसभा टीवी

अब रही बात उनके द्वारा सदन के पटल पर झूठ बोलने की या फिर देश की जनता को सदन के माध्यम से गुमराह करने की तो मैं समझता हूं कि जिसे आप झूठ कह रहे हैं दरअसल वह एक रणनीति भी हो सकती है अब यदि उसका खुलासा कर दिया जाए तो चीन कहीं सब गुड़ गोबर न कर दे इसलिए कई बार ऐसी बात कही जाती है जो फौरन सुनने पर भ्रम फैलाने वाली या झूठ लगती है लेकिन उसके दूरगामी परिणाम होते हैं ,अब आप सोच रहे हैं कि मैं किस बारे में बात कर रहा हूं अरे अब प्रधानमंत्री ने कल रिकॉर्ड बनाया है अब तक सदन में सबसे लंबे भाषण का अब किस किस अंश की बात की जाए क्योंकि विपक्ष तो पूरे भाषण में ही कीड़े निकाल रहा है लेकिन जाने दीजिए हमें इस बहकावे में नहीं आना है ।

आइए मैं आपको समझाता हूं कि प्रधानमंत्री जी पर शक क्यों नहीं करना चाहिए और जिसे आप झूठ समझ रहे हैं वह रणनीति का हिस्सा कैसे है उम्मीद है कि आपको समझ आयेगा उदाहरण के लिए कल प्रधानमंत्री जी ने सदन में एलआईसी के संबंध में चर्चा की एलआईसी यानी जीवन बीमा निगम वही सरकारी इंश्योरेंस कंपनी जिसका बाजार में लगभग 65% हिस्सा है यानी देश में बीमा का जो बाजार है उसमें आधे से अधिक पर कब्ज़ा एलआईसी का है सरकार ने इसकी 3.5% हिस्सेदारी के बदले धन जुटाने हेतु 17 मई 2022 को इसके आईपीओ को लिस्ट करवा दिया लिस्टिंग के समय इस आईपीओ का मूल्य 949 रूपया/यूनिट रखा गया जोकि खुलते ही 8,62% के डिस्काउंट के साथ 867.20रूपया था पूरे एक साल में निवेशकों ने इसपर लगभग 40% गवां दिया इसका उस समय मूल्य 641.70रुपए था जब प्रधानमंत्री जी सदन में इसका वर्णन कर रहे थे।

अब आप कहेंगे कि प्रधानमंत्री जी तो कह रहे थे कि निवेशकों की बल्ले बल्ले हो रही है भारतीय कंपनियों में पैसा लगाएं और देखें उनकी ग्रोथ तो फिर यह तो आंकड़ों के अनुसार कोरा झूठ है अब यहीं आपको अपनी सोच को दूषित होने से और विपक्ष के दुष्प्रचार से बचानी है क्योंकि आज आईएलसी के आईपीओ की कीमत में 660 रुपए हो गई है यानी स्टॉक एक्सचेंज बंद होने से पहले इसमें 2.85% फीसदी का बड़ा उछाल आया और निवेशकों की जेब 18.30 रुपए आ गए आपको कुछ समझ आया दरअसल सदन के भीतर खड़े होकर प्रधानमंत्री ने जो मार्केटिंग की यह उसका असर है ,अब आपको समझ आ गया होगा कि जिसे आप झूठ समझ रहे हैं दरअसल वह दुकानदारी का गुण है और प्रधानमंत्री पहले ही कह चुके हैं कि वह गुजराती हैं उनके रोम रोम में व्यापार है ।

देखिए प्रधानमंत्री जी ने देश को विश्वास दिलाया है कि सब ठीक है कोई दिक्कत नहीं है इसमें क्या बुरा है अगर आपके आस पास किसी जगह कोई दुर्घटना घट जाए तो आप वहां पहुंचकर यह नहीं कहते कि बड़ा बुरा है आपको भी मर जाना था अब कुछ नहीं हो सकता इसकी जगह आप कहते हैं घबराइए नहीं सब ठीक होगा समय के साथ धैर्य रखिए इतना ही तो कहा है उन्होंने भी ,यह और बात है थोड़ा हंसी मज़ाक के अंदाज में कह दिया अब कोई झूठा कहेगा तो उसे भी चिढ़ाने के लिए इतना तो बनता है, न?

वैसे भी मौत कब कोई त्रासदी बची है इस भागती हुई दुनिया में? नग्नता तो समाज के दिवालियेपन की देन है तो कब तक इसका विलाप हो क्या कहते हैं आप? हरियाणा या मणिपुर में हिंसा कोई नई तो नहीं जिसपर विचलित हुआ जाए क्योंकि हमारे घर तो वहां नहीं हैं? भारत देश है कोई नागरिक कैसे भारत हो सकता है ? महिलाओं का सम्मान संसद में होना चाहिए बाहर खट्टर जी के अनुसार पुलिस सबकी हिफाज़त नहीं कर सकती ? देश की हर महिला और अति विशिष्ट महिला में फर्क करना कब सीखेंगे आप ? और हां क्या इन सवालों और तर्कों के बाद भी आप प्रधानमंत्री को झूठा मानते हैं?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here