देश वासियों को आजादी के अमृतकाल में बड़ा तोहफा मिला है,सियासी उठापटक,चुनावी दंगल और मीडिया की अति ईमानदार कार्यशैली के चलते देश में यह बड़ा काम इतनी जल्दी परवान चढ़ा है हालंकि सरकार ने पहली बार इतने तेज़ गति से हुए विकास का क्रेडिट लेने की पहल नहीं की है और हमारे प्रधानमंत्री जी ने इसकी बधाई भी नहीं दी है,आपकी जिज्ञासा बढ़ रही होगी आखिर ऐसा कौनसा विकास हो गया जिसकी जानकारी आपको नहीं हुई क्योंकि आप तो सभी विकास की जानकारियां सुबह आंख मलते हुए ही सबसे अधिक विश्वसनीय व्हाट्सएप विश्विद्यालय की मॉर्निग बुलेटिन से नियमित रूप से लेते हैं ऐसा कैसे संभव हो गया कि आप पीछे रह गए।
ख़ैर अब परेशान मत होइए मैं ही आपको इस विकास की सूचना दे देता हूं, देश में बुलेट ट्रेन चलने लगी है बिना हरी झंडी दिखाए बिना किसी उद्घाटन समारोह के और बिना रात 8 बजे प्रधानमंत्री जी के टीवी पर पधारे इतनी बड़ी सौगात देश को मिल गई है, इसका पहला ट्रायल रन मुंबई और जयपुर इसे चला कर किया गया इस ट्रेन का नाम जयपुर मुंबई सेंट्रल एक्सप्रेस है।अब शायद आपको कुछ कुछ याद आ गया होगा कि मैं दरअसल बुलेट ट्रेन की बात कर रहा हूं जिसकी गति बहुत तेज नहीं है लेकिन इसके यात्रियों की दुर्गति बहुत तेज़ हुई।दरअसल यह ट्रेन यूं तो भारतीय रेल की अन्य ट्रेनों जैसी ही थी लेकिन जब इसके साथ बुलेट अर्थात गोली जुड़ गई तो यह खास बन गई।

इसी ट्रेन में चेतन सिंह नाम के एक आतंकवादी ने बी5 कोच में आरपीएफ के सहायक उप-निरीक्षक टीकाराम मीणा और एक अन्य यात्री की गोली मारकर हत्या कर दी।उसने सुबह पांच बजे के बाद पैंट्री कार में एक अन्य यात्री और पैंट्री कार के बगल में एस6 बोगी में एक और यात्री को गोली मार दी थी। रेलवे पुलिस ने बताया कि मृतकों की पहचान पालघर के नालासोपोरा के निवासी अब्दुल कादरभाई मोहम्मद हुसैन भानपुरवाला (58) और बिहार के मधुबनी के निवासी असगर अब्बास शेख (48) के रूप में हुई है. वहीं तीसरे मृतक की पहचान सैयद एस. (43) के रूप में हुई है। सिर्फ इतना ही नहीं इस आतंकवादी ने ऐसा जघन्य अपराध किया और उस कोच में बैठे सभी लोग खामोशी से दर्शक की तरह सब देखते रहे किसी ने कोई साहस नहीं दिखाया इस आतंकी दरिंदे ने पूरी घटना को अंजाम देने के बाद एक छोटा सा भाषण भी दिया जिसमें उसने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी और उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी का नाम लेते हुए कहा कि यही दो लोग देश को बचा सकते हैं ,अब यह एक पहेली है कि आखिर उसने यह नाम क्यों लिए? क्या वह वास्तव में इनसे बहुत प्रभावित है ? या फिर इसके पीछे एक गहरी साजिश है जिसके द्वारा यह इन नेताओं को बदनाम करना चाहता है ? इसकी सघन जांच अतिआवश्यक है।

खैर इस बुलेट ट्रेन की गति अत्यधिक तेज़ है और इसको तकनीकी रूप से मीडिया ने मज़बूत किया है उसका इसमें बड़ा योगदान है , सुबह से शाम तक नफरती एजेंडा परोसने वाले एंकर इस बड़े कार्य के हीरो हैं क्योंकि अब इस ट्रेन वाले आतंकी के संबंध में मीडिया द्वारा कहा जा रहा है कि यह व्यक्ति मानसिक रूप से ठीक नहीं है अब यहां एक सवाल पैदा होता है कि जब इस व्यक्ति की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है तो यह सरकारी सेवा में क्या कर रहा था? बिना मानसिक स्थिति ठीक हुए इसे लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकारी हथियार थमा कर कैसे दी गई थी ? यह यक्ष प्रश्न हैं जिनका हर कठिन सवाल की तरह मीडिया के पास कोई जवाब मौजूद नहीं है।

चेतन सिंह ट्रेन में हुए नरसंहार का आरोपी

सिर्फ इतना ही नहीं दुनिया के सारे आतंकी मानसिक रोगी ही होते हैं यह एक सत्य है तो क्या सबको इस आधार पर निर्दोष करार दे दिया जाना चाहिए ? किसी व्यक्ति की जान सिर्फ़ अपने विचार से मेल न खाने पर कर देने वाला मानसिक रोगी ही होता है अब इसका जवाब क्या भारतीय मीडिया के पास है? खैर देश को तेज़ गति से दौड़ने वाली बुलेट ट्रेन मिली हो या न मिली हो लेकिन जिस ट्रेन में गोलियां यानी बुलेट चलती है वह ट्रेन मिल गई है। नफरत के नए सॉफ्टवेयर से संचालित इस बुलेट ट्रेन की रफ्तार का आलम यह है कि यह मणिपुर के दृश्यों को पलक झपकते हरियाणा पहुंचाने में सक्षम है।
मणिपुर में जारी हिंसा का दहला देने वाला दृश्य

मणिपुर में जिस तरह भारत को निवस्त्र कर आतंकियों ने घुमाया यहां यह स्पष्ट कर दूं कि मैं भारत इसलिए कह रहा हूं कि भारत की एक बेटी के साथ अगर ऐसी दरिंदगी हो तो उसे पूरे देश के साथ हुई दरिंदगी ही मानना चाहिए सैकड़ों लोगों ने जान गवाई ,महिलाएं रेप का शिकार हुई और फिर भारत के सबसे ज्यादा लोकप्रिय और विदेश में डंका बजवाने वाले प्रधानमंत्री की छाती दर्द से भर गई विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया तो मणिपुर से बुलेट ट्रेन पर सवार होकर यह सारे दृश्य हरियाणा आ गए। अब टीवी से मणिपुर का दर्द गायब है और बात है तो सिर्फ हरियाणा की ,क्या मणिपुर में सब कुछ ठीक हो गया ? क्या अब वहां स्थिति सामान्य है ? या फिर मणिपुर में हुई हिंसा के पीछे जो लक्ष्य था उसे प्राप्त करने की ओर साजिशकर्ता बढ़ गए हैं ? यह सारे सवाल हैं जिन्हें पूछा जाना चाहिए।
हरियाणा में हुई हिंसा का दृश्य

वैसे यहां आपसे एक जानकारी साझा करता चलूं जिसे आप यूं तो जानना नहीं चाहेंगे फिर भी बता देता हूं कि भारत सरकार ने लिथियम के खनन की इजाज़त उधमियों को दे दी है और इससे जम्मू कश्मीर में पहले लिथियम भंडार के खनन को लेकर रास्ता साफ हो गया है यानी धारा 370 के कुछ उपबंधो को समाप्त करने के पीछे के कारण को शायद आप समझ सकते हैं हालांकि यह कोई वैचारिक मामला नहीं है।खैर यह तो एक खबर थी जिससे आपको कोई सरोकार नहीं जबकि देश के सबसे कीमती संसाधन पर अडानी जी या अंबानी जी का स्वामित्व आपकी चेतना को झकझोरता नहीं दिखता?
वैसे मणिपुर में जहां हिंसा हो रही है उसके पीछे भी खनन का एक बड़ा खेल संभव है इंफाल टाइम्स नमक एक वेब पोर्टल पर हीरोजीत नोंगमैथम जोकि एक वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट हैं जोकि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया नॉर्थ ईस्ट रीजन में कार्यरत हैं की एक रिपोर्ट है जिसमें मणिपुर में भी लिथियम के भंडार की ओर इशारा किया गया है https://www.imphaltimes.com/articles/salt-brines-of-manipur-the-source-of-meitei-thum/
अगर इसपर भरोसा किया जाए तो मणिपुर में संघर्ष की सही वजह तक पहुंचना शायद मुमकिन हो सकता है। खैर यह एक संभावना या आशंका मात्र है।

अब चलते हैं हरियाणा जहां की पुलिस इतनी तेज़ी से काम करती है कि एक जघन्य हत्या कांड का आरोपी खुलेआम घूमता है वीडियो बनाता है इंटरव्यू देता है लेकिन पुलिस इसे पकड़ नहीं पाती सिर्फ हरियाणा की पुलिस नहीं बल्कि राजस्थान की पुलिस भी जुनैद और निसार के हत्यारों को ढूंढ नहीं पाती खैर अभी यह जांच का विषय है कि नूंह में हिंसा का जिम्मेदार कौन ?लेकिन इससे फायदा किसको होना था यह भी जांच का विषय होना चाहिए ।
देश में नफरत का प्रचार प्रसार इतनी तेज़ी से किया जा रहा है कि हर चुनावी राज्य में इस तरह की घटनाएं बढ़ी हैं आखिर धार्मिक भावनाओं में उबाल चुनाव के समय क्यों?नूंह हिंसा के बाद हरियाणा को जलाने का प्रयास करने वाले और उनके समर्थक दिल्ली में थानों के सामने एक समुदाय को मारने काटने की बात करते हैं भीड़ लगाकर पुलिस तमाशा देखती है क्यों ? और सवाल यह भी कि क्या मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव को भारत बुला कर ऑल इज वेल का संदेश दे दिया गया है अब जो चाहे करो की लीक पर काम शुरू ?

सवाल बहुत हैं आम चुनाव नजदीक हैं ऐसे में सभी कुछ सामान्य सा होता दिखेगा लेकिन सब जैसा दिख रहा है वैसा है यह जरूरी नहीं ,हरियाणा हिंसा में एक पहलू सायबर क्राइम का भी मौजूद है क्योंकि इस हिंसा में साइबर थाना फूंक दिया गया है जिसमें देश के दूसरे जामताड़ा बन कर उभरे मेवात का काला चिट्ठा फाइलों में बंद था जिसे आग के हवाले कर दिया गया है ।इस मामले की जांच होती है अगर तो बड़े बड़े नाम सामने आ सकते हैं और हिंसा के गुनहगारों और कथित धर्म के ठेकेदारों के चेहरे बेनकाब हो सकते हैं ।वैसे इस संदर्भ में ओटीटी प्लेटफार्म पर जामताड़ा वेब सीरीज को भी देखना चाहिए क्योंकि वहां से आप बहुत कुछ जान और समझ सकते हैं।

वैसे आपको चिंता की जरूरत नहीं है क्योंकि आपको जिस तरह का विकास चाहिए आपको परोसा जा रहा है बाकी बुलेट ट्रेन में आपकी यात्रा मंगलमय हो यह नहीं कह सकता।राहुल गांधी के दोष सिद्ध पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है आप इस खबर को एंजॉय कीजिए हरियाणा और मणिपुर वाले अपना दुख झेल रहे हैं क्योंकि खट्टर साहब कह चुके हैं कि पुलिस हर व्यक्ति की रक्षा नहीं कर सकती वैसे अभी प्रधानमंत्री ने अपने दुख का इजहार नहीं किया है
जय हिन्द।
यूनुस मोहानी

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