आप चौकिए मत यही सच है क्योंकि मजहब की शिक्षाएं समाज में मौजूद किसी न किसी समस्या का हल होती हैं या किसी बुराई को खत्म करने का तरीका ,हम कितने ही अधिक विकसित समाज में क्यों न रह रहें हों हमें धर्म की जरूरत पड़ती है जिस तरह एक राष्ट्र को सुचारू रूप से कार्य करने हेतु संविधान की आवश्कता है उसी प्रकार मानव समाज को संचालित होने के लिए भी किसी न किसी विधान की आवश्कता है ,अब यह व्यक्ति की समझ पर है कि वह अपने लिए क्या चुनता है यहां पर उसे छूट प्राप्त है जबकि राष्ट्र के संविधान को उसे मानना ही होता है, लेकिन एक राष्ट्र में अनेक धर्मों के विधान मौजूद होते हैं और राष्ट्र के नागरिकों की स्वतंत्रता है कि वह अपने विवेक ,ज्ञान के माध्यम से किसी भी धर्म के विधान को माने अथवा किसी भी धार्मिक विधान को न माने यह उसका आंतरिक मामला है ।

दुनिया में अनेकों धर्म हैं और कम या ज्यादा उसके मानने वाले भी,इस्लाम धर्म दुनिया का ऐसा धर्म है जिसका लिखित विधान मौजूद है और जिस विधान के एक बिंदु को भी न मानने वाले को इस्लाम धर्म में रहने का अधिकार नहीं है इस संविधान को कुरान कहते हैं ,कुरान ईश्वरीय वाणी है और इसी ईश्वरीय वाणी में मुसलमानों को खास महीने के खास दिन में कुर्बानी का हुक्म दिया गया। कुरान की सूरा अल हज की आयत संख्या 28 में अल्लाह फरमाता है “और खुदा ने जो जानवर चारपाये उन्हें अता फरमाए (जिबाह के वक्त) चंद निर्धारित दिनों में खुदा का नाम ले तो तुम कुर्बानी का गोश्त खुद भी खाओ और भूखे मोहताज को भी खिलाओ ” ।

हज के महीने में जिसे अरबी कैलेंडर में जिल्हिज कहते हैं की निर्धारित 10,11 व 12 तारीख को कुर्बानी का हुक्म कुरान देता है यहीं कुरान की सुरा अल हज की आयत नंबर 37 में अल्लाह कहता है “खुदा तक न तो हरगिज़ उनका गोश्त पहुंचेगा और न खून हां मगर उस तक तुम्हारी परेहजगारी अलबत्ता पहुंचेगी”। अब यह स्पष्ट हो गया कि कुर्बानी का गोश्त और खून खुदा की बारगाह तक नहीं पहुंचता लेकिन आदेश साफ है कि खुदा के नाम के साथ जानवर को हलाल करो और उसका गोश्त स्वयं खाओ और भूखे मोहताजों को खिलाओ यह तो बात धर्म की थी आइए अब हम अपने बहुत विकसित हो चुके संसार की बात करते है जहां आज भी भूख सबसे बड़ी त्रासदी है।
वर्ल्ड काउंट के अनुसार प्रत्येक वर्ष लगभग 90 लाख लोग सिर्फ भूख से मरते हैं पूरी दुनिया में आज के विकसित दौर में जब हमारे पास सारी सहूलियत मौजूद है ऐसे समय में भी ऐड्स मलेरिया और तपेदिक यानी टीबी जैसे तीनो ही रोगों से मरने वाले लोगों की संख्या से अधिक लोग प्रत्येक वर्ष भूख से मर जाते हैं, इनमे से सबसे ज्यादा खराब स्थिति अफ्रीकी देशों में बसने वालों की है पूरी दुनिया की लगभग 20% भूख से होने वाली मौते यहीं रिकॉर्ड की जाती हैं यह बात ग्लोबल हंगर इंडेक्स में दिखाई देती है।भारत की स्थिति भी बहुत खराब है फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन के अनुसार लगभग 20 करोड़ भारतीय रोज रात में खाली पेट सोते हैं ,भुखमरी में भारत का हाल बहुत अधिक डराने वाला है 2021 की ग्लोबल हंगर इंडेक्स के रिपोर्ट के अनुसार भारत का स्थान 116 देशों में 101वां था जहां हमसे अधिक मात्र 15 देश और हैं जहां स्तिथि खराब है यह आंकड़े उस विज्ञापन वाले भारत से बिलकुल अलग हैं जहां हम विकास की सीढ़िया चढ़ते दिखते हैं।

वहीं विश्व स्तर पर भी स्तिथियां बहुत खराब हैं यूनाइटेड नेशंस क्रोनिकल में प्रकाशित जॉन होम्स जोकि संयुक्त राष्ट्र संघ में कार्यरत हैं की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 25000 लोग प्रतिदिन पूरी दुनिया में भूख से मर रहे हैं ,ऐसे समय में जब सेटेलाइट से हम जमीन के अंदर तक झांकने की क्षमता प्राप्त कर चुके हैं लोगों तक खाना नहीं पहुंचा पा रहे हैं यह हमारे विकास की गाथा है ,भूख सदा से एक त्रासदी रही है और आज भी है कोरोना महामारी के बाद हालात और खराब हो चुके हैं और भूख से होने वाली मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है।

यह है आज की दुनिया आइए अब वापिस चलते हैं जब अरब में पैगंबर मुहम्मद तशरीफ लाए और उन्होंने अपनी नबूवत का ऐलान कर दिया धीरे धीरे बुराइयों को समाप्त करने के लिए अपने साथियों को शिक्षित करना शुरू किया यह वह दौर है जब तकनीक नहीं है लोग ऊंट घोड़ों खच्चरों पर सफर करते थे आज जब भूख से मरने वालों की संख्या इतनी है तब जब संसाधन कम थे तो हालत ज्यादा खराब थे लेकिन जनसंख्या भी कम थी ऐसे समय में इस्लाम में कुर्बानी का हुक्म आया और सभी मालदारों को हुक्म दिया गया कि वह कुर्बानी करें आदेश यहीं तक समाप्त नहीं हो गया आगे कहा गया कि जो कुरबानी तुम करो उसका मांस तुम भी खाओ और गरीबों मोहताजों यानी जो भूखे हैं उनको भी खिलाओ

बिलकुल स्पष्ट शब्दों में यह आदेश दिया गया कि सिर्फ स्वयं नहीं खाना है बल्कि उनको खिलाना है जो भूखे हैं वहीं कुरान में अल्लाह ने यह भी कह दिया कि जो जानवर तुम हलाल कर रहे हो उसका गोश्त या खून मुझ तक नही पहुंचता यानी यह जो सब करवाया जा रहा है इसलिए कि तुम लोगों को खिलाना सीख जाओ अपने माल में से, फिर पैगंबर की सुन्नत से मुसलमानों को इसका तरीका बताया गया वहीं लोगों के पेट भरने से संबंधित कई हदीस मिलती हैं यहां तक कहा गया कि सबसे अच्छा काम लोगों को सलाम करना और खाना खिलाना है अब इन सब बातों को एक जगह करते हैं और अपनी बात पर आते हैं कि कैसे इस्लाम में कुर्बानी भूख के खिलाफ जंग है ।

सवाल यह भी उठता है कि जानवरों का खून क्यों बहाया जाता है क्या इससे खुदा खुश होता है ? जवाब साफ है खुदा खून से नही बल्कि लोगों को भूख से बचाने से खुश होता है और जानवरों की कुर्बानी क्यों ? उसका जवाब है कि पूरी दुनिया में अलग अलग जानवर पाए जाते हैं जिन्हें इंसान खा सकता है और इस्लाम में जिनके खाने पर पाबंदी नहीं है जबकि दूसरी कोई चीज दुनिया के हर इलाके में न पैदा होती है और न आसानी से मिलती है।वहीं आइए मेडिकल साइंस से भी कुछ सीखते हैं जो कहती है कि गोश्त में लोहा यानी आयरन,प्रोटीन,विटामिन जिंक फास्फोरस अर्थात जो हमारे शरीर की आवश्कता है सबकुछ मौजूद होता है वहीं मेडिकल साइंस यह भी कहती है विटामिन बी12 का स्रोत मांस मछली अंडा आदि है इसकी कमी से मानसिक बीमारियां होती है अवसाद भी इसकी एक वजह है जिसे आप डिप्रेशन कहते हैं और यह किसी सब्जी या फल में नहीं पाया जाता । वहीं अन्य चीज जैसे दलहन ,या सब्जियां या फिर फलों की बात की जाए तो दुनिया के हर इलाके में यह नहीं पाई जाती हैं हर जगह अलग चीज होती है वहीं इनमें जो पोशक तत्व है वह सब में अलग अलग हैं कोई ऐसा नहीं कि एक चीज से शरीर की सारी जरूरत पूरी हो सके।
आप इस बात को इस प्रकार कदापि न लें कि मैं मांसाहार को प्रमोट कर रहा हूं मैं यह बात उन लोगों के संदर्भ में कर रहा हूं जोकि भूख से मरने की कगार पर हैं न कि उनके लिए जोकि हर तरह से संपन्न हैं ,अब बात उपलब्धता की हो गई पौष्टिकता की हो गई आइए अब सुगमता पर बात करते हैं मांस का एक टुकड़ा बिना किसी अन्य चीज के पेट भरने में सक्षम है इसके लिए न तो नमक की आवश्कता है न मिर्च मसाले की और न घी तेल की ,सिर्फ जरूरत है आग की जिसे प्रकृति ने फ्री कर रखा है हर जगह मौजूद है मांस को आग पर आसानी से भून कर खाया जा सकता है ।
अरब जोकि अधिकतर मांस पर ही निर्भर थे और दुनिया के कुछ इलाकों को छोड़ कर अधिकतर स्थानों पर मांस पर ही लोग निर्भर हैं उस समय भूख को एक त्रासदी के तौर पर पैगंबर ने देखा और इस चुनौती को लिया लोगों को दूसरों का ख्याल रखने की शिक्षा दी और खाना खिलाने पर विशेष जोर दिया इस संबंध में बहुत हदीस मिलती हैं और फिर अल्लाह ने कुरान में हुक्म दिया कुर्बानी का और कुर्बानी के मांस का उपयोग भी खोल कर बता दिया।

इस आदेश के बाद पैगंबर -ए – अमन ने लोगों को सिखाया कि किस तरह कुर्बानी करनी है और इसे
किस तरह लोगों में वितरित करना है, कुर्बानी के तीन हिस्से किए जाते हैं एक अपने खाने के लिए एक सगे संबंधियों और दोस्तों के लिए और एक हिस्सा गरीब मिस्कीन परेशानहाल लोगों के लिए इस प्रकार लोगों तक मांस पहुंचाया जाता है सभी मालदारों को कुर्बानी करनी होती है इससे पूरी दुनिया में इतना मांस होता है अगर उसका सही से वितरण आज कर दिया जाए तो लोगो को महीनो तक भूख से बचाया जा सकता है क्योंकि मांस को बिना किसी संसाधन के भी सुखा कर रखा जा सकता है।

इस प्रकार पैगंबर ने आज से 1500 साल पहले भूख के खिलाफ जंग छेड़ी जो लगातार जारी है पूरी दुनिया में एक ही समय में एक साथ लोगों की भूख मिटाने की कोई मुहिम नही चल सकी सिवा कुर्बानी के, मुसलमानों को इसे खासतौर पर समझना होगा और कुर्बानी के मकसद को समझते हुए भूख के खिलाफ इस लड़ाई को कामयाब करना होगा इसके लिए जरूरी है कि दिखावे से हट कर अगर मुमकिन हो तो उन इलाकों में भी कुर्बानी का गोश्त पहुंचा दे जहां लोग भूख से मर रहे हैं ।
यूनुस मोहानी

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